व्बायलर सहायक नियुक्ति में फर्जीवाड़ा, नकली प्रमाण पत्र पर कर रहे नौकरी

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हैंडलूम नगरी पानीपत की आन-बान और शान है तो यहां की इंडस्ट्री से, यहां पर लगी औद्योगिक इकाइयों से और यहां पर तैयार होने वाले हैंडलूम उत्पादों से। इन उत्पादों को तैयार करने और विभिन्न प्रकार के रंगों में रंगने के लिए बड़े ब्वायलरों का प्रयोग भी धडल्ले से किया जा रहा है, लेकिन इन ब्वायलरों को हैंडल करने, संचालित करने और देखभाल करने के लिए नियुक्त किए जाने वाले ब्वायलर सहायकों की नियुक्ति, उनके प्रशिक्षण और प्रमाण पत्रों के मामले में एक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।
मामला इस कदर तूल पकड़ चुका है कि हाईकोर्ट तक ने प्रदेश के लेबर कमिश्नर को इस मामले की गहन जांच करते हुए रिपोर्ट सबमिट करवाने के निर्देश दिए हैं तो मामले की लिखित शिकायत पानीपत पुलिस को भी की जा चुकी है। इसकी जांच करते हुए अब तक 19 ऐसे लोगों के नाम उजागर हो चुके हैं, जो बीते कई सालों से न केवल इस फर्जीवाड़े को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर ब्वायलर सहायक की नौकरियों पर भी काबिज हैं।
 नियमों की धज्जियां उड़ाते
फैक्ट्री मालिक भी सब कुछ जानते हुए केवल इस बात पर चुप्पी साधे हुए हैं कि फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर ब्वायलर सहायक के तौर पर काम करने वाले लोग अधिक वेतन नहीं मांगते हैं और ब्वायलर एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एक ही व्यक्ति 12 से 16 घंटे की ड्यूटी करने के लिए भी तैयार हो जाता है। चीफ ब्वायलर इंस्पेक्टर विनोद कुमार पूरे मामले की जानकारी रखते जरुर हैं, लेकिन मसले पर चुप्पी साध चुके हैं। उनका कहना है कि शनिवार का दिन होने के चलते उनके पास स्टाफ नहीं है जिससे वे किसी प्रकारी की जानकारी दे सकें।
 ब्वायलर एक्ट
ब्वायलर यानि पानी को गर्म करने वाला एक ऐसे यंत्र जिसमें हजारों लीटर पानी को गर्म किया जाता है। हैंडलूम नगरी पानीपत के प्रत्येक कोने में खड़ी इंडस्ट्री में ब्वायलर अमूमन देखने को मिल जाते हैं। ब्वायलर यहां के लोगों के लिए बेहद आम सी चीज जरूर होगी, लेकिन लोगों को इस बात की जानकारी शायद ही हो कि ब्वायलर को चलाने के लिए विशेष प्रकार की ट्रेनिंग प्राप्त शुदा व्यक्ति को ही नौकरी पर रखा जा सकता है। नौकरी किसे दी जा सकती है, उसकी शैक्षणिक और तकनीकि शिक्षा कितनी और किस प्रकार की होगी, ब्वायलर को किन नियमों के मुताबिक फैक्ट्री में इंस्टाल किया जा सकता है और कितनी लागत के ब्वायलर को कितनी देर तक चलाया जा सकता है, यह सब ब्वायलर एक्ट 1923 में अंकित है जो जम्मू-काश्मीर को छोडक़र पूरे देश पर लागू होता है।
डिप्लोमा होना अनिवार्य 
इस एक्ट के मुताबिक ब्वायलर सहायक के तौर पर कार्य करने वाले व्यक्ति के पास आई.टी.आई से मिलने वाला तीन साल का डिप्लोमा होना अनिवार्य है अन्यथा इंडस्ट्री एवं कामर्स विभाग द्वारा ली जाने वाली मौखिक परीक्षा के बाद मिलने वाला प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है जिससे स्पष्ट हो पाए कि कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति को ब्वायलर के बारे में पूरी जानकारी है और वह उसे बेहतरीन तरीके से संचालित कर सकता है। मौखिक परीक्षा में भाग लेने के लिए भी नियम हैं कि खुद को पात्र बताने वाले व्यक्ति के पास तीन साल तक दसवीं तक की शैक्षणिक योग्यता और तीन साल तक फायरमैन के तौर पर काम करने का अनुभव प्राप्त हो। इन औपचारिक्ताओं को पार करने के बाद ही व्यक्ति को द्वितीय श्रेणी का ब्वायलर सहायक बनाया जा सकता है।
 कानपुर से आए नकली प्रमाण पत्र
पानीपत की हैंडलूम फैक्ट्रियों में बड़ी संख्या में ब्वायलर लगे हुए हैं जिन्हें संचालित करने के लिए ब्वायलर सहायक की जरुरत होती है। ऐसे में लोगों ने करीब एक दशक से उत्तर प्रदेश के कानपुर से जारी होने वाले प्रमाण पत्र यहां पर लाने और उनके बूते नौकरी हासिल करने का गोरखधंधा शुरू किया। उजागर हुआ है कि कुछ ही लोग ऐसे हैं जिन्होंने कानपुर से वास्तविक प्रमाण पत्र हासिल किए लेकिन दर्जनों ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने कानपुर से मिलने वाले प्रमाण पत्र की तर्ज पर नकली प्रमाण पत्र तैयार किए, उस पर अपनी फोटो चिपकाई और यहां पर उन्हें ही असली बताते हुए नौकरी करना शुरु कर दिया। अनेक लोग ऐसे भी हैं जो खुद किसी फैक्ट्री में ब्वायलर सहायक के पद पर कार्यरत्त हैं लेकिन अपने प्रमाण पत्र उन्होंने दूसरे लोगों को भी किराए पर दिए हुए हैं जिसकी एवज में एक से दो हजार रुपए प्रति माह वसूला जा रहा है।
कानपुर में बने प्रमाण पत्र साल 2008 में बने दिखाए जा रहे हैं। इन फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले अनेक लोग ऐसे भी हैं जो नकली प्रमाण पत्रों के आधार पर हरियाणा चीफ ब्वायलर इंस्पेक्टर से एनओसी हासिल कर प्रथम श्रेणी के ब्वायलर सहायक भी बन चुके हैं। सीधे तौर पर कहा जाए तब बिना किसी प्रकार की शैक्षणिक व तकनीकी योग्यता के ब्वायलर सहायक बनकर नौकरी करने वाले लोग फैक्ट्री में काम करने वाले अन्य श्रमिकों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
 अब मिल रही धमकियां
ब्वायलर सहायक अमित शर्मा, यमुनानगर के अमरीक सिंह, धर्मबीर, सतबीर इत्यादि युवकों ने जब इस गोरखधंधे को देखा, तब इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरु की। अमित का कहना है कि शुरुआत से लेकर आज तक उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मामले की जानकारी लिखित रुप से चीफ ब्वायलर इंस्पेक्टर विनोद कुमार को कुरुक्षेत्र में जाकर दी गई लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी फर्जी कागजों पर नौकरी कर रहे लोगों को दे दी, जिसके बाद उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई तो फैक्ट्री मालिकों द्वारा भी धमकाया गया। उन्होंने इसकी एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की है जिस पर न्यायालय ने प्रदेश के लेबर कमिश्नर से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही इसकी शिकायत पानीपत पुलिस को भी की गई है।
अमित शर्मा के मुताबिक उन्होंने कानपुर में जाकर उत्तर प्रदेश के ब्वायलर निदेशक एसके गुप्ता से भी मामले की जानकारी हासिल की। निदेशक  ने लिखित तौर पर इन सभी प्रमाण पत्रों को फर्जी करार देते हुए इन्हें जारी न किए जाने की बात कहते हुए फर्जीवाड़े पर अपनी मोहर लगा दी है।
19 लोगों के नाम हुए उजागर
व्हीसल ब्लोअर अमित शर्मा का कहना है कि उन्होंने एस.पी से मुलाकात करते हुए 381-एसपी.आर-4.2.16 नंबर से एक शिकायत दी थी जिस पर एस.पी89 नंबर आदेश से जांच चांदनी बाग थाना पुलिस को सौंपी गई है और चांदनी बाग थाना ने 22-एस.पी पत्र क्रमांक से जांच सेक्टर 29 पुलिस चौकी को सौंप दी है। अब तक 19 लोगों के ब्वायलर सहायक के नाम फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी करने वाले लोगों के तौर पर उजागर हुए हैं।
 सोमवार को दी जाएगी जानकारी
default (7)इस पूरे मसले पर विभाग व ब्वायलर देखरेख के लिए नियुक्त सरकारी अधिकारी चीफ ब्वायलर इंस्पेक्टर विनोद कुमार का तर्क जानने के लिए उनसे संपर्क किया गया। उन्होंने माना कि मामला हाईकोर्ट की जानकारी में है, फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी करने के मामले में अनेक नाम उजागर हुए हैं। उनका कहना था कि इस पूरे मामले की आंकड़ों सहित जानकारी फिलहाल उनके पास उपलब्ध नहीं है, शनिवार का दिन है और उनके पास स्टाफ मौजूद नहीं है। सोमवार को इस संबंध में पूरी जानकारी मुहैया करवाई जाएगी। वहीं सेक्टर 29 चौकी प्रभारी सरदार अत्तर सिंह का कहना है कि मामला उनके पास आया है, मामले की जांच की जा रही है, सभी लोगों से कागजात मंगवाए गए हैं और इनकी छानबीन के बाद अगर आरोप सत्य पाए जाते हैं तब उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 

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