पूरा विश्व जिनका सम्मान करता है और वैदिक संस्कृति पर धारा प्रवाह अंग्रेजी में लेक्चर देकर पूरी दुनिया के विश्व विघालयों में वैदिक ज्ञान पर अपनी प्रतिभा का डंका बजाने वाले डा रवि प्रकाश आर्य को हरियाणा प्रदेश की खट्टर सरकार नही जानती। उसके अपने ही राज्य में कुछ वर्षो पहले वैदिक काल को ही लेकर विश्व स्तरीय संगोष्ठी बहादुरगढ में हुई , जिसमें देश विदेश से प्रतिभागी आये ,उसे भी नही जानती, आखिर क्यों ? इस बात पर सभी सरकारी अधिकारी मौन है।
भारतीय इतिहास संकलन योेजना की जब भी बात आती है तो डा रवि प्रकाश आर्य का नाम सबसे पहले आता है। इस विषय की खोज करने का श्रेय उन्हे्रं ही जाता है। इसके बाद विश्व के 28 देशों में वैदिक घर्म क्या है और कैसे चलता है , सभी घर्मो की जननी कैसे है इस विषय पर उन्होने हजारों की संख्या में उनकी अपनी भाषा में लेक्चर दिया और भारत के इतिहास से रूबरू कराया । जिसे देखकर और उनका आंकलन कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने विधा भारती व संस्कार भारती के पैनल में शामिल किया और वह आये दिन होने वाले सम्मेलनों में अपनी वाणी से उन लोगों को आर्कषित कर रहें है जिन्होने एैशो आराम में जिन्दगी बितायी और अब भारत ही क्या , भारतीय की मातृभाषा हिन्दी व संस्कृत को भी भूल चुके है।
अंग्रेजी पसंद लोगों को जब डा0 आर्य ने संस्कृत के भाव व शरीर की क्रिया के बारे में उससे जुडे तथ्य बताये तो आर्कषण इतना था कि विधा भारती व संस्कार भारती जैसी संस्थायें चलाय मान हो गयी । उस देश में जहां स्टेटश सिंबल के नाम पर अंग्रेजी का डंका बजता हो। स्वामी विवेका नंद व दयानंद सरस्वती के पदचिन्हों पर चलने वाले व वैदिक काल के आधुनिक काल में पुरोधा को हरियाणा सरकार कैसे नही पहचान पायी यह कहना जरा अटपटा सा है। एैसा भी नही है कि शैक्षिक जगत हरियाणा का डा0 रवि प्रकाश आर्य से अछूता है ,वह हरियाणा सिविल सेवा से नियुक्त हुए प्रधानाचार्य है और सबसे ज्यादा पगार लेने वाले प्रधानाचार्य है। फिर भी हरियाणा सरकार का ध्यान उनकी ओर क्यों नही जाता यह बात समझ के बाहर है।
डा रवि प्रकाश आर्य ने छह किताबे लिखी जो कि इसी वैदिक परम्पराओं पर थी और जिन चीजों के लिये वह आज पूरे विश्व के विश्वविघालयों में र्चिर्चत है वह उनका इस पर शोध कार्य है जिसे भारत सरकार ने पहली बार महत्व दिया और भारत के बारे में इस काल को जोडकर कुछ नया करने के लिये कहा । यह कार्य उन्होने चंद ही दिनों में कर दिया । इसके बाद भारत अध्ययन केन्द्र की स्थापना , बनारस हिन्दू विश्वविघालय के प्रांगण में हुई। जिसमें डा0 रवि प्रकाश आर्य को बोर्ड आफ स्टडीज का सदस्य बनाया गया। उनका कार्यकाल दो साल का होगा और इस दौरान वह मेक इन इंडिया के सपने को साकार करेगें। इतनी उपलब्धि के बाद भी हरियाणा की सरकार डा0 आर्य को नही जान पायी या प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा चाहते ही नही कि सीएम की निगाह में रविप्रकाश आर्य आये, और हरियाणा में भी वैदिक काल की वापसी हो।
बाक्स: भारत अध्ययन केन्द्र में सात विभाग होगे। पहला प्राचीन इतिहास का , दूसरा भाषाओं व साहित्य का जिसमें देश के सभी भाषा व साहित्य का समाकलन होगा। तीसरा विभाग घर्म व दर्शन का होगा । चैथा विभाग वैदिक सांइस , वेद और वेद विज्ञान , पांचवा आयुर्वेद रस व औषधि विज्ञान । छठवां विभाग लोकविघा व मनो स्कीपोलोजी का होगा जबकि सांतवा विभाग पाडुलिपियों का संग्रह व अनुसंधान पर कार्य करेगा। इतना ही नही यह केन्द्र रिसर्च व फाउडेशन कोर्स भी चलायेगा, जो कि समय सीमा वाले होगे। इन कार्य के लिये यूजीसी ने 25 करोड रूप्ये की ग्रांट स्वीकार की है और जिसके तहत इस केन्द्र के लिये विजिटिंग फलोशिप , प्रोफेसर , सेटेनरी प्रोफेसर, स्थायी विभागीय कर्मचारी रखे जायेगें। इस पूरे कार्यक्रम के संयोजक सदाशिव द्विवेदी है जबकि संस्थापक सदस्यों में डा0 रवि प्रकाश आर्य का नाम जुडा है।