पति-पत्नी के राजी होने पर रद्द हो सकती है शिकायत- हाईकोर्ट
मुंबई,। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा को लेकर पत्नी की ओर से दर्र्ज शिकायत को वह रद्द कर सकता है। बशर्ते पति-पत्नी में इसके लिए रजामंदी हो। वैसे कानून में इस तरह की शिकायतों को रद्द करने का प्रावधान नहीं है। पर हाईकोर्ट अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर घरेलू हिंसा के तहत दर्ज शिकायतों को रद्द कर सकता है।मिली जानकारी के अनुसार भरवीम शाह के खिलाफ उसकी पत्नी ने काशीमीरा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी। इस बीच पुलिस जांच शुरू रहते शाह व उसकी पत्नी के बीच संबंध सुधर गए। अब उसनेे शिकायत वापस लेने की इच्छा व्यक्त की है। कानूनन इस तरह की शिकायतें आपसी सहमति से नहीं सुलझाई जा सकती। लिहाजा शाह ने शिकायत रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के साथ शाह ने पत्नी के हलफनामे को भी जोड़ा है। हलफनामे में पत्नी ने कहा था कि यदि शिकायत को रद्द किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। न्यायमूर्ति रणजीत मोरे व न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि पत्नी के हित को ध्यान में रखते हुए अथवा उसे घरेलू हिंसा से बचाने के इरादे से इस कानून को बनाया गया है। ताकि ससुराल में पत्नी को घरेलू हिंसा का सामना न करना पड़े। पर यदि इस कानून को तकनीकी जटिलताओं के साथ लागू किया जाता है तो इसका विपरीत असर हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में साफ किया है कि पत्नी के हित में घरेलू हिंसा को लेकर दर्ज की गई शिकायत को रद्द किया जा सकता है।