पाक विदेश सचिव ने अमेरिका को नहीं सौंपा रॉ से जुड़े कोई सबूत

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वाशिंगटन,। पाकिस्तान के विदेश सचिव ऐजाज चौधरी ने पाकिस्तान के भीतर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की कथित गतिविधियों के बारे में कोई सबूत (डोजियर) अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के साथ इस माह हुई बैठक में उन्हें नहीं सौंपा है। यह ताजा जानकारी अमेरिका के शीर्ष अधिकारी ने दी है।
चौधरी की अमेरिका यात्रा से पहले पाकिस्तान की मीडिया में आई खबरों के विपरीत ऐसा माना जा रहा है कि चौधरी ने अपने अमेरिकी समकक्षों को बताया कि उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना नहीं है बल्कि द्विपक्षीय रणनीतिक एवं आर्थिक संबंधों पर गौर करना है।
विदेश मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी से जब मीडिया में आई ऐसी खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत से जुड़ा कोई डोजियर नहीं है। मैं स्पष्ट तौर पर ऐसा कह सकता हूं। पाकिस्तान के भीतर कोई डोजियर हो सकता है लेकिन चौधरी ने वह हमें नहीं सौंपा। ऐसा माना जा रहा है कि अपनी बैठकों के दौरान पाकिस्तान के विदेश सचिव ने भारत की कथित गतिविधियों के संदर्भ में अपनी चिंता जाहिर की। इस्लामाबाद का मानना है कि ये कथित गतिविधियां पाकिस्तान में सांप्रदायिकता को बढ़ा सकती हैं या उसके राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचा सकती हैं।वाशिंगटन प्रवास के दौरान उन्होंने अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं। इन अधिकारियों में उप विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकेन, रक्षा अवरसचिव क्रिस्टीन वोमरुथ, राजकोष अवरसचिव एडम जे जुबिन और अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि डैन फेल्डमैन शामिल हैं। चौधरी की अमेरिका यात्रा से पहले पाकिस्तानी मीडिया में खबरें आई थीं कि वह अपने साथ भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाए जाने के सबूत लेकर जा रहे हैं।ऐसा माना जाता है कि जब भी पाकिस्तान ने इस तरह के मुद्दे उठाए हैं, तब-तब अमेरिका ने उसे ठोस सबूत लाने को कहा है। ऐसे सबूत उसने अभी तक जमा नहीं कराए हैं। ऐसा माना जाता है कि चौधरी के नेतृत्व वाले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठकों में अमेरिकी पक्ष ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा और विशेषकर 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड लखवी की जमानत का मुद्दा उठाया।अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान अपनी इस कथनी पर काम करे कि अच्छे आतंकवादी या बुरे आतंकवादी जैसी कोई चीज नहीं होती। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी पक्ष को आतंकवाद से लड़ने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का यकीन दिलाते हुए चौधरी ने अमेरिकी अधिकारियों को बताया कि पाकिस्तानी समाज में लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा की लोकप्रियता के चलते इन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई बेहद मुश्किल काम है।

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