
पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में मंत्री से लेकर प्रमुख विधेयकों पर भाजपा के लिए ‘शोधकर्ता’ की जिम्मेदारी निभा चुके सुरेंद्रजीत सिंह आहलूवालिया के पार्टी लाइन से हटकर सभी दलों से संपर्क हैं और शब्दों को तौलकर बोलने के लिए पहचाना जाता है।
पटना के इस राजनीतिज्ञ को किसी भी मुद्दे पर अपनी एक ठोस राय कायम करने के लिए जाना जाता है फिर भले उनकी राय पार्टी के रूख से अलग हो।
राव सरकार में मंत्री रहते आहलूवालिया ने तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सीताराम केसरी के पार्टी मामलों को देखने के तरीके को लेकर उनपर खुला हमला बोला था। केसरी भी बिहार से ही थे।
लोकसभा में नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट्स एक्ट :लिखत पराक्रम्य अधिनियम: में संशोधन के संदर्भ में चल रही एक चर्चा के दौरान वह वित्त मंत्री अरूण जेटली की ओर से लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ बोले थे।
भाजपा ने समिति की बैठकों में आहलूवालिया की कम उपस्थिति के चलते संसद की प्रमुख लोक लेखा समिति में उन्हें नामित नहीं किया था।
विवादित भूमि विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में आहलूवालिया ने यह सुनिश्चित किया कि समिति में मौजूदा राजनीतिक विभाजन से कार्यवाही बाधित न हो।
( Source – पीटीआई-भाषा )