
उत्तराखंड में हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध करा रही निजी उड्डयन कंपनी का करार रदद किये जाने के राज्य सरकार के निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला राज्य हित के खिलाफ है और इससे राजकोष को 18 करोड़ रूपये का नुकसान होगा।
मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता वाले उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने मंगलवार रात को देहरादून और पिथौरागढ़ के बीच कम किराये की उडाने भरने वाली इंडिया फ्लाईसेफ एविएशन लिमिटेड का करार इस आधार पर रद कर दिया था कि वह करार की शतोर्ं का पालन नहीं कर रही थी।
करार की शर्तो के अनुसार, कंपनी को यात्रा सीजन के दौरान तीन सालों के लिये चारधामों के लिये भी रियायती दरों पर उड़ानों का संचालन करना था।
अनुबंध को समाप्त किये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह फैसला पर्वतीय प्रदेश के हित में नहीं है।
गौरतलब है कि हरीश रावत के कार्यकाल में ही फ्लाईसेफ एविएशन के साथ यह अनुबंध किया गया था। कंपनी को अनुबंध देने में सभी नियमों का कड़ाई से पालन होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की जनता के हितों में ध्यान में रखते हुए कम किराये पर उड़ान संचालित करने के लिये कंपनी के साथ करार किया गया था।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस करार को समाप्त करके राज्य सरकार ने यह दिखा दिया है कि इसे राज्य की जनता की कोई परवाह नहीं है जिन्हें इस निर्णय से बहुत असुविधा होगी।’’ उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को भी कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अनुबंध समाप्त करने से राज्य के राजकोष को 18 करोड़ रूपये का नुकसान भी होगा।
रावत ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के इन आरोपों को भी नकार दिया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा कंपनी के साथ अनुबंध करने में अनावश्यक तेजी दिखायी गयी।
भट्ट ने कहा था कि कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिये नियमों का उल्लंघन किया गया था और इसलिये उससे अनुबंध समाप्त कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब इस संबंध में सही प्रक्रिया अपनायी जा रही है।
( Source – PTI )