
अलगाववादी नेताओं ने आज सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के न्यौते को खारिज करते हुए इस तरह के उपाय को ‘‘छलवा’’ करार दिया और जोर देकर कहा कि ‘‘मुख्य मुद्दे पर गौर करने के लिए यह पारदर्शी, एजंेडा आधारित वार्ता का विकल्प नहीं हो सकता।’’ महबूबा द्वारा पीडीपी प्रमुख के रूप में अलगाववादियांे को आमंत्रित करने के एक दिन बाद अलगाववादी नेताओं :हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों के: सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और :जेकेएलएफ के: मोहम्मद यासीन मलिक ने यहां एक संयुक्त बयान जारी करके उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि संसदीय प्रतिनिधिमंडल और ‘ट्रैक टू’ के जरिये संकट प्रबंधन के ये कपटपूर्ण तरीके केवल लोगों की परेशानियांे को बढाएंगे और ये जम्मू कश्मीर में लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के मुख्य मुद्दे पर गौर करने के लिए स्वाभाविक पारदर्शी एजेंडा आधारित वार्ता की जगह नहीं ले सकते।
बयान में कहा गया कि यह हमारा रूख निरंतर रहा है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं वैश्विक मंचों को हमारे पत्रों में भी इसे स्पष्ट किया गया है।
अलगाववादी नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मिलने में रूचि नहीं है। उन्होंने कहा कि यह ‘‘समझ से परे’’ है कि ऐसे प्रतिनिधिमंडल से क्या आशा की जा सकती है जिसने ‘‘स्पष्ट एजेंडा पर किसी संवाद के लिए अपने अधिकारों को स्पष्ट’’ नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए यह आश्चर्यजनक नहीं है कि अब भी उनकी :महबूबा की: मुख्य चिंता जैसा कि उन्होंने अपने पत्र में जताया है, कश्मीर का दौरा करने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की साख और विश्वसनीयता बढाना है।
( Source – पीटीआई-भाषा )