
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तंत्र में ‘गतिरोध’ पैदा होने का आरोप लगाते हुए कुलपति ने अपने सह-अध्यापकों के साथ नौकरी छोड़ने की धमकी दी है। उनका कहना है कि सरकार के रख का समर्थन करने के लिए अकादमिक क्षेत्र के लोगों के बजाय सांसदों या विधायकों को कुलपति बनाया जा सकता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति आर.एल. हंगलू ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और एक जमाने में इसे उत्तर का आक्सफोर्ड कहा जाता था। यदि राजनीतिक हस्तक्षेप जारी रहा तो इस विश्वविद्यालय के पुराने स्वर्णिम दिन लौटने की कोई संभावना नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि विद्यार्थियों के आंदोलन से निपटने के तरीके को लेकर हाल ही में हंगलू को भाजपा नेताओं की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस, भाजपा, सपा और एबीवीपी से जुड़े कई नेता इस विश्वविद्यालय के मामलों में शामिल हैं और यदि ये नेता दखलअंदाजी करते हैं तो विश्वविद्यालय आगे नहीं बढ़ेगा।
हंगलू ने कहा, ‘‘ हम इस विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के पथ पर ले जाना चाहते हैं और यह हमारे लक्ष्य को एक झटका है। मेरे सभी सहयोगियों का कहना है कि यह विश्वविद्यालय को एक झटका है और नेता विश्वविद्यालय की प्रगति में बाधा खड़ी कर रहे हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप इस विश्वविद्यालय के लिए एक विघ्न है।’’ हंगलू ने कल कहा, ‘‘ यदि नेता हस्तक्षेप करना जारी रखते हैं तो हमें विश्वविद्यालय छोड़ना पड़ेगा। तब सरकार अपने मनमुताबिक इसे चला सकती है। अकादमिक क्षेत्र के लोगों की जगह विधायकों या सांसदों को कुलपति के तौर पर रखना बेहतर होगा।’’
( Source – पीटीआई-भाषा )