देश में पहली बार देसी गाय सौंदर्य प्रतियोगिता

देश में पहली बार देसी गाय सौंदर्य प्रतियोगिता
देश में पहली बार देसी गाय सौंदर्य प्रतियोगिता

भारतीय नस्ल की गाय के संरक्षण व संवर्धन के लिए हरियाणा सरकार महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इस कार्यक्रम के तहत भारत की परंपरागत देसी नस्लों को प्रोत्साहन देने के लिए हरियाणा के रोहतक में देसी गौवंश सौंदर्य प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है। दो दिन चलने वाली इस प्रतियोगिता के दूसरे दिन यानि शनिवार सात मई को फैशन शो की तर्ज पर देसी गाय रैंप पर होंगी।

हरियाणा के कृषि, पशुपालन एवं डेरी मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की परिकल्पना पर शुरू इस प्रतियोगिता में हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से 600 गौवंश कार्यक्रम स्थल पर पहुंच चुके हैं।

इस दो दिवसीय समारोह के दौरान 18 से ज्यादा प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। गौवंश के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित सौंदर्य प्रतियोगिता में हरियाणा, साहीवाल, राठी, गिर, थारपारकर व बिलाही नस्लें शामिल हैं।

धनखड़ ने बताया कि इन गौवंश में 50 जवान सांडों सहित 40 बैलों के जोड़े, 40 बछड़े, 100 से ज्यादा बिना दूध वाली गाय और अन्य 18 स्पर्धाओं में गौवंश पहुंचे हैं।

जिले के बहुअकबरपुर गांव में स्थित अंतरराष्ट्रीय भारतीय पशु विजन एवं अनुसंधान संस्थान के प्रांगण में पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा द्वारा राज्य स्तरीय देसी गौवंश सौंदर्य प्रतियोगिता समारोह के दूसरे दिन आयोजित होने वाली इन प्रतियोगिताओं में हरियाणा की बेहतरीन गाय रैंप पर अपना जलवा बिखेरेंगी।

हरियाणा गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष भानीराम मंगला ने राज्य स्तरीय देसी गौवंश सौंदर्य प्रतियोगिता समारोह की शुक्रवार को शुरूआत की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने देसी गायों के बचाव व संवर्धन के लिए प्रदेश में 5 गौ अभयारण्य बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि पानीपत जिले के नैन गांव में 200 एकड़ में गौ अभयारण्य बनाया जा रहा है।

भानीराम मंगला ने कहा कि कुरूक्षेत्र में स्थित वीटा प्लांट में देसी गायों के दूध का प्रसंस्करण होगा और इसकी बिक्री वीटा ब्रांड से होगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दुग्ध उत्पादकों को दी जाने वाली सब्सिडी 4 रूपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 5 रूपये प्रति लीटर करने का निर्णय लिया है। देसी गायों की विभिन्न नस्लों का चलन पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा है।

1 COMMENT

  1. यही भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति है। देर भले हुयी हो, पर जब जगे तभी सबेरा वाली कहावत अभिव्यक्त हो रही है। गोपालकृष्ण के देश में इसी की अपेक्षा है। भारतीय वंश की गौ, दूध और पंचगव्य के स्वास्थ्य लाभ भी बहुत है।
    हरयाणा शासन को बधाई।

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