
विशेष एसीबी अदालत ने आज यहां महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ राकांपा नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर को महाराष्ट्र सदन मामले के सिलसिले में जमानत दे दी लेकिन वे एक और लंबित मामले के चलते जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।
विशेष सरकारी अभियोजक प्रदीप घरात ने कहा, ‘‘उन दोनों को अदालत में पेश किया गया और 50-50 हजार रपये के मुचलके पर जमानत दे दी गयी।’’ अदालत ने 15 जून को दोनों आरोपियों के खिलाफ पेशी वारंट जारी किया था। प्रदेश एसीबी मामले की जांच कर रही है।
हालांकि छगन और समीर भुजबल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे क्योंकि फिलहाल वे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।
घरात ने कहा कि अदालत ने भुजबल के बेटे पंकज के वकीलों द्वारा दाखिल माफी आवेदन को स्वीकार कर लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अदालत से अनुरोध किया था कि पंकज के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए लेकिन उनके वकीलों ने माफी की गुहार लगाई थी। हालांकि अदालत ने उन्हें अगली तारीख पर मौजूद रहने का निर्देश दिया है।’’ मामले में 22 जुलाई को सुनवाई हो सकती है।
एसीबी ने इस साल फरवरी में मामले के सिलसिले में भुजबल समेत 17 लोगों पर आरोपपत्र दाखिल किये थे। एजेंसी ने 20,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें 60 से अधिक गवाहों के बयान हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के अनुसार मामला पूरी तरह दस्तावेजी साक्ष्यों पर आधारित था।
एसीबी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण में ठेकेदारों ने 80 प्रतिशत लाभ कमाया था, वहीं सरकारी सकरुलर के मुताबिक ऐसे ठेकेदारों को केवल 20 प्रतिशत फायदे का अधिकार है।
( Source – पीटीआई-भाषा )