
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार के बावजूद पार्टी के अंदर की लड़ाई की वजह से भाजपा की प्रदेश इकाई में असंतोष के संकेत मिल रहे हैं। पार्टी की प्रदेश इकाई के नेताओं का एक वर्ग मौजूदा पदाधिकारियों पर ‘गैर राजनीतिक’ लोगों को बढ़ावा देने और आरएसएस के कहे पर चलने का आरोप लगा रहा है।
हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस आरोप से इंकार करते हुए कहा कि संस्थागत ढांचे का निर्माण पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
प्रदेश की राजनीति में एक ‘बैक-बेंचर’ मानी जाने वाली भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चर्चा में आई थी। मोदी लहर के दम पर पार्टी ने तब 17 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।
राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अपने दम पर लड़ते हुए भाजपा ने पहली बार तीन सीटें जीतीं ।
प्रदेश के एक भाजपा नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा की ओर से आरएसएस प्रचारक दिलीप घोष को कमान सौंपे जाने के बाद से पार्टी की प्रदेश इकाई के भीतर लड़ाई और गुटबाजी बढ़ गई है।
घोष को वर्ष 2015 की शुरूआत में आरएसएस से पार्टी में शामिल किया गया था। उन्होंने दिसंबर 2015 में प्रदेश इकाई की कमान संभाली थी ।
राहुल सिन्हा के कार्यकाल में पार्टी में अहम पदों पर रहे कई नेताओं को या तो दरकिनार कर दिया गया है या पार्टी के भीतर उनका प्रभाव खत्म हो गया है ।
( Source – पीटीआई-भाषा )