
पंद्रह अगस्त से पहले चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगाने की दिल्ली सरकार की असमर्थता के बीच यहां के पतंगों का व्यवसाय करने वाले दुकानदारों ने इस पर फौरन रोक लगाने की मांग की है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुरानी दिल्ली के लाल कुआं इलाके में लगने वाले सालाना पतंग बाजार के दुकानदारों का कहना है कि पतंगबाजी शौक और मनोरंजन के लिए होती है और शौक जब जानलेवा हो जाए जो इसे बंद कर देना चाहिए । उनका कहना है कि चीनी मांझा बहुत ज्यादा खतरनाक है और इसे फौरन प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बीते 20 बरस से लाल कुआं में पतंग की दुकान लगाने के लिए जयपुर से आने वाले मो जावेद और मो खालिद ने बताया, ‘‘ यह मांझा बहुत ही खतरनाक है। यह मांझा नायलॉन से बनता है और इसमें कांच और लौह कण लगाए जाते हैं और यह स्ट्रेचेबल होता है। इस वजह से यह आसानी से नहीं टूटता है और खिंचता जाता है। यह परिंदो के लिए जानलेवा है। देसी मांझा सूत से बनता है और यह अगर परिंदे के किसी अंग में फंसता है तो वह टूट जाता है लेकिन चीनी मांझा जिस अंग में फंसेगा उस अंग को ही काट देगा।’’ उन्होंने कहा कि इस मांझे में लौह कण लगे होने की वजह से बिजली के तारों से टकराने पर यह शॉट कर सकता है और पतंग उड़ाने वाले को करंट लग सकता है, जबकि देसी मांझा अटकने पर टूट जाता है।
वहीं अन्य दुकानदार मो निजाम कुरैशी ने कहा, ‘‘ पतंगबाजी शौक और मनोरंजन के लिए की जाती है और चीनी मांझे से पतंग उड़ाना खतरनाक है और जो शौक लोगों के लिए खतरा बने उसे बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मांझे को बेचना दुकानदारों के लिए भी फायदेमंद नहीं है। इसमें मुनाफा नहीं है। चीनी मांझे की छह रील की एक चरखी :एक रील में करीब एक हजार मीटर: 400 रूपये की आती है जबकि देसी मांझे की छह रील की चरखी 1800 रूपये तक की आती है।
( Source – पीटीआई-भाषा )