
एक विशेष अदालत ने कोयला ब्लाक आबंटन घोटाला मामले में रांची स्थित कंपनी, उसके तीन निदेशकों तथा दो अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। इन सभी पर झारखंड में कोयला ब्लाक हासिल करने के लिये कथित तौर पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टि में मेसर्स डोमको प्राइवेट लि., उसके तीन निदेशकों विनय प्रकाश, वसंत दिवाकर मांजरेकर तथा परमानंद मंडल, चार्टड एकाउंटेंट मनोज कुमार गुप्ता तथा संजय खंडेलवाल के खिलाफ भारती दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी तथा आपराधिक साजिश को लेकर आरोप तय करने को लेकर पर्याप्त सामग्री है।’’ हालांकि अदालत ने सुखदेव प्रसाद को मामले में बरी कर दिया और कहा कि प्रथम दृष्ट्या उनके खिलाफ मामला तय करने को लेकर पर्याप्त सामग्री नहीं है।
अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 13 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। अदालत ने यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान आरोपियों के पास यह दिखाने का मौका होगा कि उनका कोई गलत इरादा नहीं था।
सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि दोमको प्राइवेट लि. ने ओड़िशा के रैरंगपुर में दो लाख टन सालाना क्षमता का पिग आयरन संयंत्र लगाने के लिये कोयला ब्लाक के आबंटन के लिये इस्पात मंत्रालय के पास आवेदन किया था।
मंत्रालय के कहने पर नवंबर 2000 में कंपनी ने कोयला ब्लाक आबंटन के लिये कोयला मंत्रालय को भी आवेदन किया।
सीबीआई के अनुसार सूचना और दस्तावेज के आधार पर कोयला मंत्रालय ने झारखंड में कंपनी को पश्चिम बोकारो कोल फील्ड में लालगढ़ :उत्तरी: कोयला ब्लाक आबंटित किया गया।
बाद में जांच में पाया गया कि कंपनी ने कोयला ब्लाक लेने के लिये कई तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया था।
( Source – PTI )