
अरूणाचल प्रदेश में हाल ही में लंबी राजनीतिक उठापठक के बाद सत्ता फिर से हासिल करने वाली कांग्रेस के हाथ से आज उस वक्त सत्ता फिर चल गई जब मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में उसके 43 विधायक पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल :पीपीए: में शामिल हो गए।
राज्य विधानसभा के सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री खांडू ने विधानसभा अध्यक्ष तेनजिंग नोरबू थोंगदोक के समक्ष 42 विधायकों की परेड कराई जिसके बाद उन्होंने पीपीए में इन विधायकों के शामिल होने को स्वीकार कर लिया। दो महीने पहले कांग्रेस सरकार की बहाली के घटनाक्रम के बाद खांडू राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
कांग्रेस छोड़ने वाले इन 43 विधायकों के समूह के पीपीए में विलय को राज्य विधानसभा बुलेटिन में अधिसूचित किया जाएगा। इस नए घटनाक्रम के बाद अब पूर्वोत्तर में मणिपुर, मेघालय और मिजोरम में ही कांग्रेस की सरकार रह गई है।
अरूणाचल के इस घटनाक्रम ने हरियाणा में 1980 के उस ‘आया राम, गया राम’ की याद ताजा कर दी जिसमें भजन लाल शामिल थे और उस वक्त जनता पार्टी सरकार का नेतृत्व कर रह थे। भजन लाल जनता पार्टी से बगावत कर सभी विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उसी समय इंदिरा गांधी की देश की सत्ता में वापसी हुई थी।
कांग्रेस के साथ अब केवल एक विधायक नबाम तुकी बचे हैं । कांग्रेस ने पार्टी में बगावत को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत जुलाई में तुकी की जगह खांडू को मुख्यमंत्री बनाया था ।
अरूणाचल में महीनों की राजनीतिक उठापठक के बाद खांडू 16 जुलाई को मुख्यमंत्री बने थे। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद नबाम तुकी की सरकार बहाल हुई थी और फिर बाद में कांग्रेस ने खांडू के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन किया था।
राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 44 विधायक थे, भाजपा के 11 और दो निर्दलीय विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की नौ अगस्त की खुदकुशी के बाद एक सीट खाली है।
कांग्रेस के दो विधायकों की स्थिति के बारे में अभी फैसला होना बाकी है जिन्होंने हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से पहले इस्तीफा दे दिया था। राज्य में राजनीतिक सरगर्मियों के चलते जनवरी 2016 में पहले तुकी सरकार गिरी, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा और कुछ समय के लिए कलिखो पुल की सरकार बनी।
( Source – पीटीआई-भाषा )