People display their voting identity cards as they stand in a queue outside a polling booth in Shahjahanpur April 18, 2007. In India's northern state of Uttar Pradesh, where corruption and caste have long dominated politics, a group of professionals from engineers to doctors are trying to challenge the grip of traditional parties. In early successes, a professor and a doctor, supported by the party, won elections held to the legislative council of the southern state of Andhra Pradesh in March. REUTERS/Pawan Kumar (INDIA)
छावनी क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों पर दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद
छावनी क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों पर दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद

उत्तर प्रदेश के छावनी क्षेत्रों में स्थित छह विधानसभा सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है।

देश के छावनी क्षेत्रों में कुल 13 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से छह उत्तर प्रदेश में हैं और राजनीतिक दल इन सीटों पर जीत दर्ज करने को बेताब हैं।

राजधानी लखनउ के अलावा उत्तर प्रदेश के पांच अन्य जिलों में छावनी क्षेत्र की विधानसभा सीटें हैं। ये मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली और वाराणसी हैं।

अगर 1991 से अब तक के चुनावी नतीजों की बात करें तो छावनी क्षेत्रों में भाजपा को लेकर मतदाताओं में ज्यादा उत्साह रहता है, लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से भाजपा को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। मायावती की पार्टी ने आगरा और बरेली छावनी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। शेष छावनी क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज हुई।

सीमांकन के बाद जब 2012 के विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा का गढ समझी जाने वाली लखनउ छावनी सीट कांग्रेस की झोली में चली गयी। कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने तीन बार के विधायक भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी को शिकस्त दी थी।

आगरा छावनी सीट :अनुसूचित जाति: पर बसपा ने हैट्रिक लगायी जबकि बरेली छावनी में भाजपा पहली बार चुनाव जीती। मेरठ और वाराणसी छावनी क्षेत्रों में हालांकि भाजपा का दमदार प्रदर्शन जारी रहा और लगातार छठी बार उसने जीत दर्ज की जबकि कानपुर छावनी में वह पांचवी बार जीती।

इस बार लखनउ छावनी सीट काफी चर्चा में है, जहां से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव सपा की उम्मीदवार हैं जबकि वर्तमान विधायक रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस का दामन छोड़ इस बार यहां से भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी हैं।

( Source – PTI )

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