हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव सितम्बर महीने में होंगे | छात्र राजनीति में कम से कम चुनाव के स्तर पर एक शहर तथा एक यूनिवर्सिटी में यह दुनिया की संभवत: सबसे बड़ी घटना होती है | लेकिन वैचारिक गंभीरता के लिहाज़ से यह चुनावी कवायद कोई मायना नहीं रखती है | डूसू चुनाव में हिस्सेदारी करने वाले वैचारिक छात्र संगठन हाशिये पर रहते हैं | नवउदारवादी दौर में डूसू चुनाव का स्तर ज्यादा तेज़ी से नीचे गया है.

                        चुनाव की तारीख और प्रत्याशियों की घोषणा होते-होते धनबल और बाहुबल का प्रयोग तेज़ से तेज़ रफ़्तार पकड़ता जाएगा | बहुचर्चित लिंगदोह समिति की सिफारिशें लागू होने के बावजूद डूसू चुनाव में हर साल यह सब होता है. केवल शुरू के एक-दो सालों में धन के इस अश्लील प्रदर्शन पर रोक लगी थी. लेकिन नए-नए तरीकों से चुनाव फिर उसी ढर्रे पर लौट आये. यदि लिंगदोह समिति की सिफारिशों का विश्वविद्यालय प्रशासन सही तरीके से पालन करे तो धनबल और बाहुबल से चुनाव लड़ने वाले संगठनों को विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में जगह नहीं मिल सकती.     

            पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में ई.वी.एम. बदलने या कम होने का आरोप सभी छात्र संगठनों ने लगाया था | ऐसी स्थिति में पुनः छात्र संघ का चुनाव ई.वी.एम से कराना छात्रो के लोकतान्त्रिक अधिकार के साथ धोखा होगा | 2019 लोकसभा चुनाव के बाद देश के अधिकांश राजनीतिक पार्टियों ने ई. वी.एम. से छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं | किसी भी मशीन के साथ छेड़छाड़ की जा सकती हैं | और मशीनें केवल उस संस्था और व्यक्तियों के रूप में भरोसेमंद हैं जो उन्हें नियंत्रित करते हैं | भारतीय चुनाव आयोग की विश्वसनीयता 2019 लोकसभा चुनाव में निम्न स्तर पर थी | अगर भारतीय चुनाव आयोग की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है, तो क्या हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि इवीएम में भी छेड़छाड़ हो सकती है ?

मतपत्र से चुनाव में हर मतदाता को अपने दिए गए वोट की सीधी और सही जानकारी मिलती थी, जबकि इवीएम के माध्यम से दिए गए वोट डिजिटल फॉर्म में किस प्रत्याशी के खाते में गए इसकी सही जानकारी मतदाता को नहीं मिलती, जबकि 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हर वोट के ऑडिट ट्रेल की व्यवस्था बनाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिए गए थे परंतु चुनाव आयोग ने इसमें भी फेर बदल कर दिया | अब वीवीपीएटी में मतदाता सिर्फ पर्ची दिखाकर गुमराह किया जा रहा हैं, दिखाई गई पर्ची पर भरोसा करने के लिए चुनाव आयोग बार-बार सिर्फ गारंटी दे कर वीवीपीएटी गिनती की बात रफा दफा कर रहा है |

जिस प्रकार आज देशभर में अलग-अलग चुनावों में इवीएम से मतदान की प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों के अलावा आम छात्रों/छात्राओं, युवाओं का भरोसा उठ रहा है उसको देखते हुए यदि विश्वविद्यालय छात्र संघ और विश्वविद्यालय की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का विशवास बनाए रखना है तो छात्र संघ का चुनाव इवीएम की जगह मतपत्र से कराना होगा | सोशलिस्ट युवजन सभा दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति से मांग करती हैं हैं छात्र/छात्राओं के मत देने के लोकतान्त्रिक अधिकार का सही उपयोग हो इसलिए छात्र संघ चुनाव इवीएम की जगह मतपत्र से कराया जाए | जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से लेकर देश के कई विश्वविद्यालय में इवीएम द्वारा छात्र संघ चुनाव नहीं होता | सोशलिस्ट युवजन सभा सभी छात्र संगठनों से अपील करती हैं की एकजुट होकर इवीएम की जगह मतपत्र का प्रयोग हो ऐसी मांग विश्वविद्यालय कुलपति से करें |

नीरज कुमार

अध्यक्ष

सोशलिस्ट युवजन सभा 

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