
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर से सीबीआई ने आज लगातार दूसरे दिन पूछताछ की। उनसे एक निजी मल्टी मीडिया कंपनी देवास को इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स द्वारा 578 करोड़ रपये का ‘गलत’ तरीके से लाभ पहुंचाने को लेकर दर्ज एक मामले के सिलसिले में एजेंसी ने पूछताछ की।
नायर को यहां सीबीआई मुख्यालय में बुलाया गया और पूछा गया कि किस कारण से देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता हुआ था।
उनसे पूछा गया था कि जी सैट और जी सैट 6 ए उपग्रहों के जरिए एस बैंड के मार्फत वाहनों में मोबाइल रिसीवर और मोबाइल फोन को वीडियो, मल्टीमीडिया और सूचना सेवा को देने के लिए तकनीकी क्षमताओं का क्या उचित मूल्यांकन किया गया था।
नायर से यह भी पूछा गया था कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले दूरसंचार जैसे अन्य मंत्रालयों के साथ क्या विचार-विमर्श किया गया था।
सूत्रों ने बताया कि नायर ने सवालों का जवाब दिया जिसकी सीबीआई जांच कर रही है।
अनुबंध पर एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 28 जनवरी 2005 को हस्ताक्षर किया था। उस वक्त नायर इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में सचिव थे।
एंट्रिक्स-देवास सौदे की वजह से नायर को इसरो के अध्यक्ष पद से समय से पहले हटना पड़ा था क्योंकि जब सौदे को अंतिम रूप दिया गया था उस वक्त वह एंट्रिक्स की गवर्निंग काउन्सिल के अध्यक्ष थे।
सीबीआई ने पिछले साल एक मामला दर्ज किया था और देवास लिमिटेड के परिसरों के साथ-साथ एंट्रिक्स के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक के आर श्रीधारा मूर्ति के बेंगलुरू स्थित परिसरों की तलाशी ली थी।
( Source – PTI )