
दृष्टिबाधित लोगों तक कला पहुंचाने के लिए दिल्ली आर्ट गैलरी:डीएजी: ने ‘ग्रुप 1890’ के कला संग्रहों की प्रदर्शनी लगाई है। इस पहल का नाम ‘आभास’ रखा गया है। इसका कार्यान्वयन वास्तुकार और उपयोग सलाहकार सिद्धांत शाह ने किया है। इन्होंने दोबारा उन तस्वीरों को स्पर्श प्रतिकृतियों के रूप में ढाला है ताकि दृष्टिहीन लोग छूकर कला को महसूस करें। शाह ने बताया कि इस माध्यम से हम ऐसे लोगों की शारीरिक और मानसिक परेशानी दूर कर सकते हैं और उन तक कला को पहंचा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए कला बुनाई द्वारा सिर्फ कुर्सियां बनाने तक सीमित है, ऐसे लोगों के लिए पेंटिंग या कला के नए तरीके अभी तक नई चीज ही हैं। मूल कलाकारी को उसी तरह की सामग्री का उपयोग करके स्पर्श प्रतिकृतियों का रूप देना एक नया विचार है।
शाह ने ‘ग्रुप 1890’ संग्रह के 12 में से आठ तस्वीरों को नए रूप में बनाया है। शाह ने बताया कि इन स्पर्श प्रतिकृतियों को छूकर दृष्टिबाधित लोग यह समझ पाएंगे कि कलाकार ने किस सामग्री का उपयोग किया है और यह पेंटिंग क्या कहती है।
‘ग्रुप 1890’ में कलाकार जे स्वामीनाथन, गुलाम मोहम्मद शेख, हिम्मत शाह, जेरम पटेल, अम्बादास और ज्योति भट्ट जैसे कलकारों की पेटिंग्स हैं।
यह प्रदर्शनी दिसंबर तक यहां चलेगी
( Source – पीटीआई-भाषा )