देश में इस समय लाखों लोग नेत्रदान के जरिए आंखों की रोशनी पाने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन कई प्रकार की भ्रांतियों के चलते आज भी लोग उतनी संख्या में नेत्रदान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं जितना जरूरत है । सच्चाई यह है कि मधुमेह, अस्थमा और ब्लड प्रेशर के मरीज भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं ।
डाक्टरों का कहना है कि लोग सांस्कृतिक रीति रिवाजों, परंपराओं और भ्रांतियों के चलते नेत्रदान को जरूरी तव्वजो नहीं देते । इसका परिणाम आज यह हुआ है कि लाखों लोग विभिन्न अस्पतालों में नेत्रदान के इंतजार में हैं।
सर गंगाराम अस्पताल की नेत्र चिकित्सक डा इकेडा लाल कहती हैं, ‘‘एक बात तो लोगों को स्पष्ट रूप से बतायी जानी जरूरी है, वह यह कि मधुमेह, अस्थमा और ब्लड प्रेेशर यानी उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं । हालांकि यह नेत्रदान करने वाले व्यक्ति की आंखों को किसी कारणवश मृत्यु होने पर भी निकाला जाता है ।’’ वह कहती हैं, ‘‘ रेटिना की बीमारी या आप्टिक नर्व की समस्या से पीड़ित लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं। केवल उसी व्यक्ति की आंखों को नेत्रदान के तहत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जिसकी मौत किसी अज्ञात कारण से हुई है या वह एड्स, हेपेटाइटिस या सेप्टिसिमिया के चलते मरा है।’’ हमारे देश में एक लाख 20 हजार लोग ऐसे हैं जो कॉर्निया की बीमारी के चलते अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठे हैं तथा 60 लाख 80 हजार लोग ऐसे हैं जिनकी दृश्यता 6 : 6 से भी कम है ।
भारत में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक ‘नेत्रदान पखवाड़ा’ मनाया जा रहा है ।
यदि आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो दुनियाभर में अंधता के शिकार चार करोड़ 50 लाख लोगों में से डेढ़ करोड़ भारत में हैं । दुखद स्थिति यह है कि इनमें से 75 फीसदी लोगों की अंधता उस श्रेणी में आती है जिससे बचा जा सकता है लेकिन देश में नेत्रदानकर्ताओं की भारी कमी के कारण इन लोगों की नेत्रहीनता की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है या ठीक से उनका उपचार नहीं हो पाता ।