कोरोना काल में मानव तस्करी एवं महिलाओं के खिलाफ सायबर क्राइम’



कॉलेजों में एंटी ट्रेफिकिंग सेल बने- डॉ. नायर
महू। ‘देश के 731 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग स्कावड का गठन कर मानव तस्करी को रोकने का प्रयास किया गया. कॉलेजों में भी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल बनाया जाना चाहिए जिससे इस सामाजिक अपराध पर नियंत्रण पाया जा सके।’ यह बात पूर्व पुलिस महानिदेशक एनडीआरफ के डॉ. पीएम नायर ने कही. डॉ. नायर का कहना था कि कोरोना काल में जब पूरे देश में लॉकडाउन था तब मणिपुर का बच्चा हैदराबाद में कैसे मिला? यह इस बात को बल देता है कि कोरोनाकाल में भी मानव तस्करी रूकी नहीं थी. डॉ. नायर का कहना था कि पंचायतों को भी इससे जोड़ा जाना चाहिए. डॉ. नायर ‘कोरोना काल में मानव तस्करी एवं महिलाओं के साथ हो रहे सायबर क्राइम’ विषय पर दो दिवसीय वेबीनार के आयोजन के पहले दिन संबोधित कर रहे थे. वेबीनार का आयोजन डॉ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू, वूमेन स्टीड डिपार्टमेंट, भारथियर यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर एवं उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. वेबीनार के आरंभ में डॉ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने भारत में मानव तस्करी के बारे में पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी. उन्होंने इस अपराध के लिए देश में बने कानून के बारे में बताया. उनका कहना था कि सामाजिक जागरूकता से इस अपराध को रोका जा सकता है।
रिटायर्ड आइएएस भमालथी बालसुब्रम्हणम सोशल पुलिसिंग पर जोर देते हुए कहा कि हमारा यह मानना गलत होगा कि कोरोनाकाल में मानव तस्करी के अपराध कम हुए हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे और महिलाएं इसका ज्यादा शिकार हुई हैं. अगप्पा यूनिवर्सिटी की विमेंस स्टडीज डिपार्टमेंट की डायरेक्टर एवं पूर्व वीसी डॉ. के. मनिकलाई ने कहा कि मानव तस्करी से खुलेआम मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा है. इस दिशा में उन्होंने समाज में जागरूक बनाने की बात कही. यूएसए से वेबीनार में शामिल हुई वूमन, जेंडर एवं सेक्सुलिटी की असिसटेंट डायरेक्टर विदने अरचर ने महिलाओं में डिजीटल अवेयरनेस की बात कही. उन्होंने कानून का हवाला देते हुए बताया कि अब समय आ गया है कि सबको कानून की जानकारी हो.
वेबीनार के दूसरे दिन कोरोना काल में महिलाओं के साथ हो रहे साइबर क्राइम के बारे में मध्यप्रदेश डिजास्टर इमरजेंसी रिसपांस फोर्स की आईजी दीपिका सूरी ने कहा कि साइबर हैकर और साइबर अपराधी महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को उनके निकट के रिश्तेदार और परिचित नौकरी और शादी का लालच देकर अपना शिकार बनाते हैं. उन्होंने ऑपरेशन मुस्कान का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह अपराधियों के चंगुल से छुड़ाया गया. कुलपति भारथियर यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर प्रोफेसर के. कलीराज ने सायबर क्राइम का उल्लेख करते हुए चाइल्ड पोर्नेाग्राफी की तरफ ध्यान दिलाया. इसके पूर्व शक्ति वाहिनी के अध्यक्ष एवं सुप्रीमकोर्ट में वकील डॉ. रविकांत का कहना है कि हमारे यहां कानून है और कानून का लाभ पीडि़त पक्ष को दिलाने के लिए उन्हें आगे लाना होगा. आर्गन यूर्निवसिटी यूएसए में वूमन, जेंडर एवं सेक्सुलिटी की प्रोफेसर सूशन एम शॉ ने कहा कि पेडेंमिक में ऐसे अपराध ज्यादा होते हैं. उन्होंने इसके कारण और निदान की बात रखी. सिंगापुर यूर्निवसिटी ऑफ सोशल साइंसेस, सिंगापुर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश्वरी श्रीनिवासन ने बताया कि डिजास्टर पीरियड में कैसे महिलाओं के साथ साइबर क्राइम होता है. प्रो. श्रीनिवासन ने सिंगापुर के संदर्भ में अपनी बात रखी.
ब्राउस की कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने सायबर क्राइम और महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. प्रो. शुक्ला स्वयं वर्षों में वूमन स्टडीज के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं. उन्होंने अपना अनुभव भी शेयर किया और बताया कि महिलाएं, लड़कियां किस तरह से अपने आपको इस अपराध से बचा सकती हैं. वेबीनार के दूसरे दिन सवाल जवाब में इससे जुड़े अनेक समस्याओं पर चर्चा कर विस्तार से समझा गया. दो दिवसीय वेबीनार की अध्यक्षता डॉ. जेनिथा रोसलीन ने किया. संचालन डॉ. कमला वाणी एवं डॉ. जया फूकन ने किया एवं अकादमिक समन्वय डॉ. मनोज गुप्ता ने किया. डॉ. रूपा गुरसलीन कार्यक्रम की संयोजक थीं. प्रशासनिक समन्वय श्री अजय वर्मा रजिस्ट्रार ब्राउस, महू एवं डॉ. मरू गवेल रजिस्ट्रार भराथीर यूर्निवसिटी कोयम्बटूर थे.

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