माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी की अध्यक्षता में 19 जनवरी, 2021 को केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल की शासी परिषद् की बैठक आयोजित की गई, जिसमें हिंदी के देश-विदेश में प्रचार-प्रसार के लिए कई महत्त्वपूर्ण व दूरगामी निर्णय लिए गए। इसमें प्रमुख हैं:-

  1. बैठक में हिंदी के प्रमुख साहित्यकारों और विद्वानों के सहायतार्थ एक कल्याणनिधि तैयार करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। बैठक में ऐसे विद्वानों और साहित्यकारों को गंभीर बीमारी आदि की दशा में उपयुक्त आर्थिक सहयोग देने का भी निर्णय किया गया।
  2. बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि हिंदी के प्रसिद्ध/साहित्यकारों विद्वानों की स्मृति को संरक्षित करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जाए। यह कार्य योजना दो स्तरों पर तैयार की जाएगी। इसमें एक तरफ तो इन विद्वानों के जन्म स्थान और कार्यस्थल इत्यादि को उपयुक्त रूप में संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। उनसे जुड़ी दुर्लभ वस्तुओं को संग्रहित करने की उचित व्यवस्था की जाएगी। इस परियोजना के अंतर्गत दूसरी तरफ उनकी पांडुलिपियों और लेखों को संरक्षित करने और उन्हें आवश्यकतानुसार प्रकाशन करने का कार्य भी किया जाएगा।
  3. विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए विदेशों में कार्यरत हिंदी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों आदि को अनुदान दिया जाएगा। विदेशों में स्थित हिंदी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रकाशन सहयोग योजना प्रारंभ की गई है, साथ ही विदेशों में प्रकाशित हिंदी पत्रिकाओं को भी आर्थिक सहयोग प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
  4. संस्थान द्वारा विदेशों के लिए और हिंदीतर प्रदेशों के लिए ऑनलाइन शिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम का लाभ विदेशियों, विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों और हिंदीतर भाषा भाषियों को मिल सकेगा।
  5. वर्तमान समय में अनुवाद के महत्त्व को समझते हुए हिंदी से अन्य भारतीय भाषाओं व विदेशी भाषाओं में हुए अनुवाद को प्रस्तुत करने के लिए भाषा सेतु नामक पोर्टल की परिकल्पना की गई। इस पोर्टल पर हिंदी के जिन साहित्यकारों की कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है उसे प्रस्तुत किया जाएगा व अन्य भाषाओँ के प्रमुख साहित्यकार जिसका हिंदी में अनुवाद हुआ है, उसे भी प्रस्तुत किया जाएगा। इससे हिंदी व अन्य भारतीय व विदेशी भाषाओं में ज्ञान का आदान-प्रदान होगा व पारस्परिक सद्भाव बढ़ेगा।
  6. देश-विदेश में हिंदी के विद्वानों, लेखकों, शिक्षकों आदि का विस्तृत डाटाबेस तैयार करने के लिए भी एक परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस योजना के माध्यम से देश-विदेश में कार्यरत हिंदी विद्वानों, लेखकों के कार्य व उपलब्धियों आदि को एक स्थान पर संग्रहित किया जा सकेगा।
  7. वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी के महत्त्व को देखते हुए प्रौद्योगिकी को भाषा, अनुवाद, प्रकाशन, पत्रकारिता से जोड़ते हुए संक्षिप्त पाठ्यक्रमों को तैयार करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृत किया गया। इसी प्रकार से भाषा विज्ञान के विषय को ध्यान में रखते हुए संक्षिप्त पाठ्यक्रम की योजना को स्वीकृति प्रदान की गई।
  8. संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्थाओं में हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ाने के लिए भी संस्थान संयुक्त राष्ट्र संघ के मीडिया विभाग के संपर्क में है, जिससे कि वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार को बल प्रदान किया जा सके । राष्ट्र संघ के मीडिया विभाग के संपर्क को औपचारिक और गहन बनाने के प्रस्ताव को सहमति दी गई।

इन परियोजनाओं में केंद्रीय हिंदी संस्थान के अतिरिक्त राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, साहित्य अकादमी व हिंदी की सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं आदि की सहायता ली जाएगी।

अनिल जोशी

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