नई दिल्ली स्थित कॉस्मोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहैव्यरल साइंसेज (सीआईएमबीएस) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में कॉलेज जाने वाले 500 विद्यार्थियों के बीच हाल में किए गए एक सर्वेक्षण में 34 प्रतिशत छात्राओं और 15.7 प्रतिशत छात्रों में नींद संबंधित समस्याएं पाई गईं।
विश्व निद्रा दिवस (18 मार्च) के अवसर पर जारी सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कॉलेज जाने वाली एक तिहाई लड़कियां अनिद्रा से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं जबकि राष्ट्रीय राजधानी के 15.7 प्रतिशत छात्र नींद संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं।
नींद से जुड़ी समस्या के शिकार छात्र-छात्राओं में डिप्रेशन, एंग्जाइटी, भावनात्मक और व्यवहार संबंधित गड़बड़ी, खराब शैक्षणिक प्रदर्शन, इंटरनेट की लत, गेम खेलने की लत, गजेट्स का अत्यधिक इस्तेमाल, अंतर व्यक्तिगत संबंध से संबंधित समस्याओं के साथ-साथ शराब और नशीली दवाओं के सेवन का अत्यधिक खतरा पाया गया।
प्रमुख मनोचिकित्सक एवं सीआईएमबीएस के निदेशक डाक्टर सुनील मित्तल ने बताया, “मनोचिकित्सकों के पास आने वाले बच्चों, किशोरों और युवकों में नींद से संबंधित समस्याओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। मौजूदा समय में लोग, खासतौर पर युवक रात में देर से सोते हैं और सुबह देर से जागते हैं, जिसके कारण उनमें फेज डिलेड स्लीप डिसआर्डर का खतरा बढ़ रहा है।”
सीआईएमबीएस में कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डाक्टर शोभना मित्तल ने कहा, “दुनिया भर में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि एक तिहाई (35 प्रतिशत) लोगों का मानना है कि वे पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं। इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक, दोनों प्रकार के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
आम आबादी में सिर्फ अनिद्रा से ही 8-10 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। इसके कारण उनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, सिरदर्द, प्रतिरक्षा की कमी, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, स्मृति संबंधित समस्या, सड़क यातायात दुर्घटना और काम के प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है।
सीआईएमबीएस में कंसल्टेंट मनोचिकित्सक और वल्र्ड एसोसिएशन ऑफ स्लीप मेडिसिन के सदस्य डाक्टर राजेश कुमार ने बचपन की एंग्जाइटी, डिप्रेशन, तनाव और अन्य भावनात्मक समस्याओं का जल्दी पता लगाने के महत्व के बारे में बात की, जिससे इस आयु समूह में फेज डिलेड स्लीप डिसआर्डर जैसी नींद से संबंधित समस्याओं की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है।
इस साल विश्व निद्रा दिवस का थीम है-‘अच्छी नींद के सपने का पूरा किया जा सकता है।’
डाक्टर मित्तल ने इस थीम के बारे में बताया कि रात में अच्छी नींद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ है। स्लीप डिसआर्डर का इलाज कराने पर उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे डिसआर्डर का खतरा कम हो सकता है, साथ ही साथ सड़क यातायात दुर्घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।