
लगभग एक दशक तक शराब की लत और समाज में मौजूद अन्य बुराइयों से लड़ने वाली एक विशेष महिला ब्रिगेड- ‘महिला कमांडोज’ को जल्दी ही सुपर पुलिस अधिकारियों :एसपीओ: का दर्जा दिया जा सकता है। इस संगठन को छत्तीसगढ़ के बालोढ़ जिले में एक स्वयंसेवी संगठन ने खड़ा किया था।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एसपीओ का विचार बालोढ़ के पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख हुसैन का है। उन्होंने कमांडो की अवधारणा को एक नया आयाम देने के लिए यह विचार पेश किया। प्रायोगिक आधार पर, अभी लगभग 100 महिला कमांडो को एसपीओ बनाया गया है। छड़ी हाथ में लिए ये महिला एसपीओ मरून रंग की साड़ी और टोपियां पहनकर रहती हैं।
अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजकर लगभग 1000 एसपीओ बनाने की बात कही गई है।
महिला कमांडो की नींव वर्ष 2006 में जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता शमशाद बेगम ने रखी थी। उन्होंने इस समूह की शुरूआत अपने जन्म स्थान गंदेरदेही विकास ब्लॉक से की थी। यह इलाका तब अविभाजित दुर्ग जिले में आता था ओर अब बालोढ़ में है।
उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के लगभग 100 सदस्यों की ब्रिगेड के साथ इसकी शुरूआत की थी और अब लगभग 8000 महिलाएं इस खास किस्म के अभियान का हिस्सा हैं।
बेगम ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘भावी पीढ़ियों के भविष्य को शराब से मुक्त बनाएं’’ महिला कमांडो का सिद्धांत है। ये महिलाएं चाहती हैं कि उनके बच्चों को उन समस्याओं से बचाया जाए, जो इन महिलाओं को अपने परिवार के पुरूष सदस्यों की शराब पीने की लत के कारण झेलनी पड़ी हैं।’’
( Source – पीटीआई-भाषा )