खुदरा उद्योग के शीर्ष संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (आरएआई) ने मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर केंद्र सरकार के हालिया फैसले का स्वागत करते हुए इसे सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया है।
आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने एक बयान में कहा है, ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल का फैसला देश के लाखों किराना कारोबारियों के लिए बड़ी राहत है और इससे वे डिजिटल भुगतान स्वीकार करने को प्रोत्साहित होंगे।’ उन्होंने कहा कि सरकार का यह ‘त्वरित कदम भारत को वास्तव में डिजिटल अर्थवयवस्था में बदलने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता दिखाता है।’ उन्होंने कहा कि संगठन को इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक से और सकारात्मक कदम की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कहा है कि डेबिट कार्ड, भीम यूपीआई या आधार से जुड़ी भुगतान प्रणालियों के जरिए 2000 रुपये तक के लेनदेन पर लगने वाले एमडीआर को सरकार खुद वहन करेगी। इसके तहत एक जनवरी 2018 से दो साल के लिए एमडीआर का बोझ सरकार उठाएगी। वह बैंकों को इस राशि का भुगतान करेगी। इससे सरकारी खजाने पर 2,512 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने इस माह की शुरुआत में मौद्रिक नीति की समीक्षा में एमडीआर को तर्क संगत बनाते हुये 20 लाख रुपये से कम कारोबारकरने वाले व्यापारियों के लिये एमडीआर शुल्क 0.40 प्रतिशत और अधिकतम 200 रुपये तथा 20 लाख से अधिक का कारोबार करने वाले प्रतिष्ठानों के लिये 0.90 प्रतिशत तथा अधिकतम 1,000 रुपये की सीमा तय कर दी थी। क्यूआर आधारित प्रणाली में इस शुल्क को 0.10 प्रतिशत कम रखा गया था। कारोबारियों के बीच इस घोषणा को लेकर असंतोष था। यह व्यवस्था एक जनवरी 2018 से लागू होनी थी।
( Source – PTI )