कई लोग यह मान सकते हैं कि भाजपा के साथ आने के नीतीश कुमार के निर्णय पर काम महीनों से नहीं तो सप्ताहों से जरूर चल रहा था लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें स्वयं इसका आभास नहीं था कि वह राजग में वापसी करेंगे तथा भाजपा ने उन्हें समर्थन की पेशकश उस समय की थी जब उन्होंने महागठबंधन से अलग होकर पद से इस्तीफा दे दिया था।
कुमार ने 26 जुलाई को लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी तोड़ने के भी प्रयास किये गए थे।
कुमार ने कल संवाददाताओं बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि सब कुछ ‘‘जल्दबाजी’’ में हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे इस्तीफा देने के बाद उस दिन जब हमारे पास भाजपा की ओर से पेशकश आयी, मैंने उसे अपने विधायकों के समक्ष रखा जो मेरे अणे मार्ग स्थित आवास पर एकत्रित हुए थे और उन्होंने निर्णय किया कि पेशकश स्वीकार कर लेनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के विधायक तत्काल जदयू विधायकों के साथ बैठक में शामिल हुए जहां उन्हें उनके संयुक्त विधायक दल का नेता चुन लिया गया और उसके बाद उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
कुमार ने दावा किया कि त्वरित गति से होने से वाले घटनाक्रम के बिहार में एक राजनीतिक उथल पुथल में तब्दील होने से पहले ‘‘पर्दे के पीछे एक खेल चल रहा था’’ जिसमें जदयू विधायकों को तोड़ने के लिए ‘‘फुसलाया’’ जा रहा था।
उन्होंने किसी पार्टी या व्यक्ति का नाम नहीं लिया लेकिन उनके बयान को इस तरह से देखा जा रहा है कि उनका इशारा राजद की ओर था। कुमार ने कहा, ‘‘जदयू के कई विधायकों को पार्टी से अलग होने के लिए फुसलाया गया….मेरे विधायकों ने सभी प्रलोभन ठुकरा दिये और मुझे बताया कि कौन बड़ी पेशकशों के साथ आये थे।’’ जदयू अध्यक्ष कुमार ने बागी नेता शरद यादव को चेतावनी दी जो बिहार में तीन दलों का महागठबंधन टूटने से नाराज हैं। कुमार ने कहा कि यदि वह पार्टी के निर्देश का उल्लंघन करते हुए राजद की पटना में 27 अगस्त की रैली में शामिल हुए तो वह अपनी राज्यसभा सीट गंवा देंगे।
( Source – PTI )