
हिमाचल प्रदेश में 2013-14 में केंद्र के ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ के तहत गरीबी रेखा से नीचे :बीपीएल: रह रहीं करीब 50,000 से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया।
हिमाचल प्रदेश में एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि 9,146 स्वयं सहायता समूहों :एसएचजी: के जरिए करीब 50,000 गरीब परिवारों को मुख्यधारा में लाया गया और 2013-14 के दौरान अतिरिक्त 11,000 एसएचजी समूहों का निर्माण हुआ है।
करीब 300 सक्रिय महिलाओं की पहचान कर एक मजबूत मानव संसाधन पूंजी का विकास किया जा रहा है। सख्त प्रोटोकॉल के जरिए इन महिलाओं को सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के रूप में बदला किया जा रहा है।
2015-16 के दौरान 52 ग्रामीण संगठनों का गठन किया गया जिन्होंने पांच सघन ब्लॉक में करीब 1.05 करोड़ रूपये के सामुदायिक निवेश कोष का लाभ प्राप्त किया।
प्रवक्ता ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष :2016-17: में हर जिले के पास एक सघन ब्लॉक होगा ताकि एसएचएस समूह निरंतर कार्य करें, जिससे कि महिलाओं की आय में इजाफा हो।
उन्होंने बताया कि गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से गरीब परिवारों को सशक्त बनाने और उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए राज्य में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन :एनआरएलएम: शुरू किया गया है।
राज्य के लिए कार्यक्रम शुरू किए जाने के बाद से केंद्र ने इसके तहत 14.92 करोड़ रूपये की राशि की मंजूरी दी है, जिसमें 3.33 करोड़ रूपये का योगदान राज्य का है।
( Source – पीटीआई-भाषा )