विवेक कुमार पाठक
स्वतंत्र पत्रकार


लोकसभा में शपथ ग्रहण वाले दिन बंग्ला फिल्म अभिनेत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने अपने सौम्य व्यवहार से देश भर का ध्यान आकर्षित किया है। कुछ दिन पहले देश के जिन तमाम जल्दबाजों ने उन्हें संसद में सेल्फी लेने के दौरान ट्रोल किया था और उन्हें तमाम तरह के उपदेश दे डाले थे वे भी शायद लोकसभा की नयी सदस्या के पहले पहल व्यवहार को नजर अंदाज नहीं कर पा रहे होंगे। संसद में प्रवेश से लेकर शपथ तक उनका विनम्र और शिष्ट व्यवहार युवा सांसदों से हमें जिम्मेदारी की मजबूत आशा जगाता है। 
संसद लोकतंत्र का मंदिर है। देश की सबसे बड़ी पंचायत है। यहां पर शीश झुकाने वाले सदस्य देशवासियों की स्मृति में बरबस ही दर्ज हो जाते हैं। 2014 में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार के नायक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी संसद में प्रवेश के प्रथम दिवस पर सांष्टाग नमन किया था। ऐसा करके उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और श्रद्धा व्यक्त की थी। निसंदेह संसद में ये स्मरणीय दृश्य नए नहीं हैं। पीएम मोदी से पहले और बाद में कई सांसदों ने संसद के प्रति अपना सम्मान सांष्टाग प्रणाम व्यक्त किया होगा। आम चुनाव के बाद नयी संसद में यह दृश्य एक बार फिर मीडिया की सुर्खी बना। बंग्ला फिल्म अभिनेत्री और तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने संसद में प्रवेश करने से ठीक पहले द्वार पर शीश स्पर्श करके नमन किया। इसके बाद दोनों अभिनेत्रियों ने बहुत ही सौम्य व्यवहार का परिचय देते हुए शपथ ग्रहण की। अपने विवाह के तुरंत बाद संसद में आयी नुसरत जहां परंपरागत भारतीय परिधानों एवं मेंहदी चूड़ी जैसे श्रृंगार के कारण मीडिया के साथ देशवासियों के बीच आर्कषण का केन्द्र बनी रहीं। उन्होंने नए भारत की सशक्त महिला के रुप में  न केवल बड़े अंतर से लोकसभा का चुनाव जीता है बल्कि अपने गरिमापूर्ण व्यवहार से संसद के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ सभी सांसदों एवं सर्वदलीय प्रतिनिधियों को प्रभावित किया है। नुसरत जहां एवं मिमी चक्रवर्ती ने शपथ ग्रहण के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पैर छूकर जब आशीर्वाद लिया और वंदेमातरम, जय हिन्द और गुरुओं की जय कहा होगा तो संभवत  सेल्फी लेने के कारण उन्हें पहले दिन ट्रोल करने वाले स्वयंभू न्यायधीश लोग भी शर्मिन्द हो गए होंगे। बेशक वे आधुनिक कपड़े पहनकर तब संसद में अपना आईडी कार्ड बनवाने आयी हों मगर वे भारतीय आचार विचार संस्कार से लेकर सार्वजनिक मूल्यों से कतई अनभिज्ञ न थीं। नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती जैसे युवा सांसद भारतीय लोकतंत्र की नयी आवाज हैं। ये आवाज दमदार भी और जिम्मेदार भी। देश अपने नए और युवा सांसदों से काफी कुछ अपेक्षा कर रहा है। ऐसे में युवा सांसदों का गरिमापूर्ण व्यवहार करोड़ों युवाओं के लिए वाकई प्रेरणा है। व्यवहार संसद में हो, सोशल साइट, घर, परिवार, समाज के बीच किया जाए गरिमा और संस्कारों का साथ हमेशा बनाए रखना चाहिए। यह साथ सम्मान दिलाता है। नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने भी संसद के पहले दिन अपने सौम्य और विनम्र व्यवहार से यही पूंजी अर्जित की है।

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