कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दल-बदल कानून के तहत सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कल सुनवाई होगी ।
नैनीताल स्थित उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यूसी ध्यानी ने बागी विधायकों उमेश शर्मा काउ, सुबोध उनियाल और शैलारानी रावत द्वारा इस मामले को जल्दी सुने जाने की अर्जी लगाये जाने के बाद इस याचिका पर सुनवाई कल सात मई के लिये नियत की थी।
विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा गत 27 मार्च को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किये गये कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने उनके इस निर्णय को उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग याचिकायें दायर करके चुनौती दी है ।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अमित सिब्बल अध्यक्ष कुंजवाल की ओर से दलीलें पेश कर रहे हैं वहीं बागी विधायकों की ओर से उनका पक्ष सी ए सुंदरम, एल नागेश्वर राव, दिनेश द्घिवेदी और राजेश्वर सिंह रख रहे हैं ।
अगर उच्च न्यायालय का विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के निर्णय का सर्वोच्च न्यायालय भी समर्थन करता है तो ऐसे में बागी विधायकों की स्थिति अहम हो जायेगी ।
गत 18 मार्च को राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का समर्थन करने वाले इन नौ बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता अध्यक्ष ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत समाप्त कर दी थी।
इन बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद 62 सदस्यों की प्रभावी क्षमता वाली विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा दोनों के 27 विधायक हैं जबकि कांग्रेस को फिलहाल छह सदस्यीय प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा :पीडीएफ: का भी समर्थन है ।
( Source – पीटीआई-भाषा )