रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के संतोषजनक दायरे में होने पर अक्तूबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर को यथावत रखने के बाद दिसंबर में होने वाली समीक्षा में 0.25 प्रतिशत की अंतिम कटौती कर सकता है। एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी का यह कहना है।
बैंक आफ अमेरिका मैरिल लिंच के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्यौरे को देखते हुये हमें छह दिसंबर को होने वाली मौद्रिक समीक्षा में 0.25 प्रतिशत की अंतिम कटौती होने की उम्मीद बनी हुई है। रिजर्व बैंक अक्तूबर में शांत रह सकता है।’’ ब्रोकर फर्म ने कहा है दिसंबर में नीतिगत दर में कटौती होने के बाद रिजर्व बैंक लंबे समय तक चुपचाप बैठक सकता है।
नोट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम को कुछ ज्यादा ही आंका गया है और मूल्यवृद्धि में रहने वाली सुस्ती ही एकमात्र कारक होगा जो कि रिजर्व बैंक को दर कटौती के लिये मजबूर कर सकता है।
प्याज और टमाटर के दाम बढ़ने के बाद मुद्रास्फीति अगस्त में 2.75 से 3 प्रतिशत के दायरे में पहुंच सकती है। हालांकि, इसमें आवास किराया भत्ता से पड़ने वाले प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने कहा है कि नीति निर्माण में वह इसके असर को देखेगा। जहां तक आयातित माल से होने वाली मुद्रास्फीति की बात है अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के नीचे भाव और नरम अमेरिकी डालर से इसमें भी नरमी रहेगी।
ब्रोकरेज फर्म ने रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के इस विचार का समर्थन किया कि बैंकों को कर्ज पर ब्याज दरें कम करने की जरूरत है। फर्म ने कहा है कि अक्तूबर से पहले बैंकों की ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत तक कटौती हो सकती है।
सरकार के साथ हुये समझौते के मुताबिक रिजर्वबैंक को मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखना है।
( Source – PTI )