भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष :2016-17: के लिए 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 में मौद्रिक नीति की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा में कहा कि दूसरी तिमाही की वृद्धि दर अक्तूबर की समीक्षा में लगाए गए अनुमान से कम है। कच्चे तेल की कीमतों में हालिया वृद्धि से कंपनियों के मार्जिन और सकल मूल्यवर्धित :जीवीए: वृद्धि दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
केंद्रीय बैंक ने अक्तूबर की समीक्षा में 2017-18 के लिए जीवीए वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। इससे कायम रखा गया है क्योंकि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। समीक्षा में कहा गया है कि खरीफ उत्पादन और रबी की बुवाई में कमी से कृषि क्षेत्र के परिदृश्य के नीचे की ओर जाने का जोखिम है। यदि सकारात्मक पक्ष देखा जाए तो हालिया महीनों में ऋण की वृद्धि दर कुछ तेज हुई है। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुन:पूंजीकरण से भी ऋण का प्रवाह बढ़ेगा।
रीयल एस्टेट जैसे सेवा क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में कमजोरी देखी जा रही है। समीक्षा में कहा गया है कि सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र चौथी तिमाही में मांग, वित्तीय स्थितियों तथा कुल कारोबारी परिस्थितियों में सुधार की उम्मीद कर रहा है।
केंद्रीय बैंक ने उम्मीद के अनुरूप महत्वपूर्ण नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किय है, लेकिन चालू वित्त वर्ष के शेष बचे समय के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 4.3 से 4.7 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति :एमपीसी: ने रेपो दर को छह प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर को 5.75 प्रतिशत पर कायम रखा है।
( Source – PTI )