उच्च न्यायालय ने सीबीआई को रोहिणी आश्रम के संस्थापक का पता लगााने का दिया आदेश
उच्च न्यायालय ने सीबीआई को रोहिणी आश्रम के संस्थापक का पता लगााने का दिया आदेश

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आज आदेश दिया कि वह उत्तरी दिल्ली स्थित उस आश्रम के संस्थापक का पता लगाए जहां लड़कियों को कथित रूप से अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखा गया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने आदेश दिया कि उत्तरी दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित को चार जनवरी से पहले उसके सामने पेश किया जाए।

अदालत ने कल आश्रम के इन दावों पर संदेह जताया था कि वहां महिलाएं बंधक नहीं थी। अदालत ने कहा कि यदि महिलाएं वहां स्वतंत्र थीं तो उन्हें तालाबंद दरवाजों के पीछे क्यों रखा गया था।

पीठ ने यह भी पूछा था कि यदि आश्रम के संस्थापक और आध्यात्मिक प्रमुख सच्चे और ईमानदार हैं तो वह पेश क्यों नहीं हो रहे।

साथ ही पीठ ने आश्रम की वित्तीय जानकारी भी मांगी और पूछा कि संस्थान के संचालन के लिए पैसा कहां से प्राप्त होता है।

इससे पहले अदालत ने आश्रम में बच्चियों और महिलाओं को कथित रूप से बंधक बनाकर रखे जाने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था। यह दावा किया गया है कि ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ में उन्हें जानवरों की तरह लोहे की सलाखों के पीछे रखा गया था और वे कांटेदार बाड़े से घिरी हुई थीं।

पीठ ने ‘‘मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता’’ को देखते हुए सीबीआई निदेशक से कहा कि वह विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करे जो मामले संबंधी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज का प्रभार संभाले।

अदालत ने गैर सरकारी संगठन ‘फाउंडेशन फॉर सोशल इम्पावरमेंट’ की जनहित याचिका पर आदेश पारित किया था जिसने अदालत को बताया कि कई नाबालिगों और महिलाओं को यहां आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में बंधक बनाकर रखा गया था और उन्हें अपने माता पिता से भी मिलने की अनुमति नहीं थी।

इसके बाद अदालत ने संस्थान के परिसरों की जांच के लिए तत्काल एक समिति गठित थी जिसमें वकील और दिल्ली महिला आयोग प्रमुख स्वाति मालीवाल शामिल हैं।

समिति ने 100 से अधिक लड़कियों एवं महिलाओं के ‘‘अत्यंत खराब’’ परिस्थितियों में रहने की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट दी। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ में लड़कियों एवं महिलाओं को ‘‘जानवरों की तरह रखा गया और उन्हें नहाने के दौरान भी कोई निजता प्राप्त नहीं थी’’।

आश्रम और इससे जुड़ी इमारत की फिर से जांच करने वाले पैनल ने आज कहा कि 30 से अधिक मोबाइल फोन जब्त किए गए और उन्होंने अदालत से उस कमरे को सील करने के आदेश दिए जाने की अपील की जहां उन्हें संदूक और अन्य दस्तावेज मिले जिनसे ‘‘पुख्ता सबूत’’ मिल सकते हैं।

( Source – PTI )

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