दशावतार में अवतारवाद की प्रचलित धारणा से अधिक जैविक विकास की कथा का वर्णन*

प्राचीन ग्रंथों का विषद अध्ययन कर दशावतार के लेखक प्रमोद भार्गव ने जैविक विकास के क्रम को न केवल सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया है बल्कि अवतारवाद की परिकल्पना को भी जैविक विकास से उन्होंने जोडऩे का प्रयास किया है। उक्त उदगार लेखक प्रमोद भार्गव की कृति दशावतार की समीक्षा करते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. पुरूषोत्तम गौतम ने व्यक्त किए। श्री गौतम ने कृति के रचियता प्रमोद भार्गव की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पौरोणिक कथाओं में से छान-छानकर सत्य परोसा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. लखनलाल खरे ने अपने उदबोधन में कहा कि दशावतार में मनुष्य के विकास में रहस्य छुपा हुआ है। शिवपुरी के वरिष्ठ  लेखक एवं पत्रकार प्रमोद भार्गव द्वारा लिखित पुस्तक दशावतार की समीक्षा अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी द्वारा आज संस्कार विद्यालय शिवपुरी में की गई। दशावतार में भगवान विष्णु के दस अवतार किस तरह से हुए इसके विकास के क्रम को दर्शाया गया है। दशावतार की समीक्षा में विभिन्न वक्ताओं ने साफगोई से अपनी बात रखी। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने पुस्तक में वर्णित विज्ञान सम्मत तथ्यों की चर्चा करते हुए लेखक के अध्ययन की तारीफ की और कहा कि दशावतार शब्द इस संदर्भ में भृमित करने वाला है, क्योंकि इसमें आमतौर पर प्रचलित अवतारवाद की झलक नहीं मिलती। बल्कि पुस्तक जैविक विकास की कथा को वर्णित करती है। यह बात अलग है कि जानवर से मनुष्य किस तरह से आया, इससे लेखक भार्गव प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक चार्ल्स डारबिन से सहमत नजर नहीं आते। उन्होंने कहा कि लेखक ने ग्रंथ को उपन्यास की तरह लिखने की कोशिश की है। लेकिन साहित्यकार होने के नाते पुस्तक में कहीं-कहीं शब्दिक दृष्टि से क्लिष्टता नजर आती है। हालांकि करैरा महाविद्यालय के प्राचार्य लखनलाल खरे ने उनसे असहमति दर्शाते हुए कहा कि जहां डॉ. शर्मा को पुस्तक में जटिलता और कठोरता नजर आती है, असल में वह साहित्यिक खूबसूरती है ,वह साहित्य का सौंदर्यशात्र है।  नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं कवि  डॉ. एचपी जैन ने  कहा कि चूकि मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं और दशावतार में वहीं सब विज्ञान की बातें हैं, जिन्हें मैं पढ़ चूका हूं। इसलिए पहली नजर में मैं पुस्तक से प्रभावित नहीं हुआ। लेकिन जब मैंने देखा कि लेखक भार्गव जिनका विज्ञान से कोई नाता नहीं है, इसके बाद भी वह विज्ञान सम्मत बात लिखने उपन्यास में कहीं चूके नहीं हैं तो इसके लिए वह प्रशंसा और अभिनंदन के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को आप जितनी बार भी पढ़ेंगे उतनी बार अलग-अलग अर्थ निकलकर सामने आएंगे। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्री प्रकाश शर्मा ने अपने सारगर्भित उदबोधन में लेखक भार्गव के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर उनके समक्ष पारिवारिक परिस्थितियां पैदा नहीं हुई होती तो वह देश के आज एक जाने माने हस्ताक्षर होते। श्री शर्मा ने श्री भार्गव को सुझाव दिया कि दशावतार में बुद्ध के अवतार को भी शामिल किया जाए।

क्योंकि ग्रंथों में बुद्ध को दशावतार में 9वां अवतार बताया गया है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अजय खैमरिया ने अपने तर्को से सिद्ध किया कि लेेखक भार्गव दार्शनिक प्रतिभा के धनी हैं और इस नाते उनकी पुस्तक में सभी विधाएं समाहित हैं। साहित्यकार हरीशचंद्र भार्गव ने कहा कि दशावतार आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया ग्रंथ है। इस अवसर पर डॉ परशुराम शुक्ल विरही की लिखित समीक्षा डॉ अजय खेमरिया ने पढ़ी। डॉ विरही के अनुसार * मैंने अपने ९३ वर्ष जीवन में लम्बे समय तक महाविद्यालयीन अध्यापन कार्य किया हैं अनेक शोध-उपाधियों  भी निदेशक रहा हूँ।  साहित्य के पठान पठान से भी निरंतर जुड़ा रहा हूँ. . किन्तु मैंने पहेली बार इस प्रकार के उपन्यास को पढ़ा हैं, जो एक साथ रोचक शोध एवं कथाग्रंथ हैं. . हिंदी का यह उपन्यास मेरी दृष्टि में एक अव्दितीय कृति हैं.*डॉ. पदमा शर्मा की समीक्षा कामना चतुर्वेदी ने पड़ते हुए कहा कि यह उपन्यास वेध रामायण महाभारत उपनिषद और पुराणों का एनसायक्लोपीडिया अर्थात विश्वकोश होने के साथ मिथक कथाओं में विज्ञानं की खोज का विलक्षण उपन्यास हैं। इस आयोजन में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे। 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *