वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित का राजनीतिक रूप से संवेदनशील उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीद बनना लगभग तय हो गया है ।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिफारिश की थी कि दीक्षित को राज्य में पार्टी के चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि वह एक प्रमुख ब्राह्मण हस्ती हैं और मतदाताओं के लिहाज से काफी बड़ी संख्या रखने वाले तबके का खोया समर्थन कांग्रेस के पक्ष में लौटाने में मदद कर सकती हैं ।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि 78 वर्षीय शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की घोषण बहुत जल्द होने की संभावना है ।
दीक्षित उत्तर प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेता उमाशंकर दीक्षित की पुत्रवधू हैं जो स्वयं एक ब्राह्मण चेहरा थे और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल भी रहे थे ।
इस महीने की शुरूआत में तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कहा था कि उत्तर प्रदेश की पुत्रवधू होने के नाते वह राज्य में कोई भी भूमिका निभाने को तैयार हैं ।
दीक्षित ने पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी जिस दौरान समझा जाता है कि उन्हें संकेत दे दिया गया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रमुख भूमिका निभानी है ।
भारत का पारंपरिक वोट बैंक रहा ब्राह्मण समुदाय मंदिर. मंडल की राजनीति के बाद भाजपा की ओर खिसक गया था और कांग्रेस में एक तबके का मानना था कि उसे इस समुदाय का समर्थन दोबारा हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
ब्राह्मण मतों का एक बड़ा हिस्सा पूर्व में मायावती की बसपा के पास चला गया था । उस समय उन्होंने इस समुदाय के कई उम्मीदवारों को टिकट दिए थे ।
मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों के चुनावी नतीजे इस समुदाय के समर्थन पर निर्भर करते हैं।