
राज्यसभा में आज एक सदस्य ने संघ लोक सेवा आयोग :यूपीएससी: की मुख्य परीक्षाओं में उत्तर अपनी मातृभाषाओं में लिखने की अनुमति दिए जाने की मांग की। उनकी इस मांग का विभिन्न दलों के सदस्यों ने समर्थन किया।
माकपा के रीताव्रता बनर्जी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और मांग की कि मुख्य परीक्षा में जवाब अपनी मातृभाषाओं में लिखने की अनुमति दी जानी चाहिए और भाषाई अधिकार कायम रखा जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह व्यवस्था शहरी छात्रों के पक्ष में है। सिविल सेवा से जुड़ी अभिरूचि परीक्षा अंग्रेजी में आयोजित होना हिंदी तथा आठ अन्य अनुसूचित भाषाओं के साथ भेदभावपूर्ण था। बाद में इसे गैर.अनिवार्य बनाया गया।
उनकी इस मांग से कई सदस्यों ने खुद को संबद्ध किया। जदयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार को इस संबंध में संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण इलाकों के छात्रों के भविष्य का सवाल है।
कई सदस्य इस बारे में सरकार से आश्वासन मांग रहे थे। उनकी मांग पर उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि इस बारे में सरकार को प्रतिक्रिया व्यक्त करना है।
शून्यकाल में ही जदयू के अली अनवर अंसारी ने रेहड़ी.पटरी वालों से जुड़े कानून को जल्दी लागू किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि रेहड़ी.पटरी वाले छोटे मोटे कारोबार करते हंै लेकिन उन्हें निगम, नगरपालिका, स्थानीय अपराधियों और यहां तक कि पुलिस भी परेशान करती है। उन्होंने कहा कि उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए संसद ने कानून बना दिया लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
अंसारी ने संबंधित कानून लागू किए जाने पर बल देते हुए सर्वेक्षण कराए जाने और ऐसे लोगों को जगह मुहैया कराने की मांग की।
( Source – PTI )