भाजपा सांसद वरुण गांधी ने देश में बड़े उद्योग घरानों की कर्ज माफी पर सवाल खड़ा करते हुए देश में भारी आर्थिक असमानता और कई राज्यों में रिण ग्रस्त किसानों के आत्महत्या करने पर दुख जताया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा कल रात न्यायालय परिसर में ‘न्याय का वास्तविक अर्थ’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में सुल्तानपुर से सांसद ने कहा, ‘‘वर्ष 2001 से इस देश में अलग..अलग सरकारों ने करीब तीन लाख करोड़ रपये का कर्ज माफ किया है। इसमें से दो लाख करोड़ रपये से ज्यादा का कर्ज देश के शीर्ष 30 उद्योग समूहों पर बकाया था। क्या हम इसे न्याय कह सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में जहां इस देश की एक प्रतिशत आबादी का देश के आधे से अधिक संसाधनों पर नियंत्रण हो तब न्याय की बात खोखली प्रतीत होती है। वहीं, दूसरी ओर, एक तिहाई से ज्यादा की आबादी अब भी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है और करीब 90 लाख बच्चे अपना पेट चलाने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं।’’ वरण ने नयी दिल्ली के जंतर मंतर पर तमिलनाडु के किसानों द्वारा हाल ही में किए गए विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र किया और अपने संसदीय क्षेत्र में किसानों के लिए अपने प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘तीन साल पहले मैंने संकल्प लिया था कि मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में किसानों को आत्महत्या नहीं करने दूंगा। मैंने फंडिंग के जरिये 22 करोड़ रपये से अधिक की रकम जुटाई, अपने कोष से दो करोड़ रपये का योगदान किया और 4,000 से अधिक किसानों के रिणों की अदायगी कर उनकी मदद की।’’ भाजपा के पूर्व महासचिव वरण गांधी ने कहा, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत तभी ‘महान भारत’ बनेगा जब गरीब से गरीब व्यक्ति को उसका हक मिलेगा। विदेशों से पूंजी निवेश से हमारा देश महान नहीं बनने जा रहा है।’’
( Source – PTI )