विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि देश के लोगों को अपने प्राचीन ज्ञान पर गर्व होना चाहिए क्योंकि देश के वैज्ञानिकों ने दुनिया को महान चीजें दी हैं। उन्होंने कहा कि वायरलेस ट्रांसमिशन आविष्कार का श्रेय गुल्येल्मो मार्कोनी को दिया जाता है, लेकिन इसका असल श्रेय भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को जाता है और खुद मार्कोनी के पोते ने भी इस बात को माना है।
हर्षवर्धन ने एक परिसंवाद में कहा कि भारत प्राचीन काल से ही विज्ञान के मामले में अग्रणी देश रहा है और देश के लोगों को इस पर गर्व होना चाहिए।
उन्होंने कहा, Þ Þविज्ञान के मामले में हमारा डीएनए बहुत मजबूत है। प्रेरणा के लिए हमें अपने प्राचीन ज्ञान की ओर देखना चाहिए। लेकिन जब मैं ऐसा कुछ कहता हूं तो कुछ लोग भगवाकरण का आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। Þ Þ मंत्री ने वायरलेस के आविष्कार का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया इसका श्रेय मार्कोनी को देती है, लेकिन असल श्रेय भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को जाना चाहिए और खुद मार्कोनी के पोते ने भी इस बात को माना है।
उन्होंने कहा कि कोलकाता स्थित बोस विज्ञान संस्थान जाकर वह तब भावुक और गौरवान्वित हो गए जब उन्होंने वहां मार्कोनी :इतालवी अन्वेषक: के पोते द्वारा लिखी गई बातों को देखा।
मंत्री ने कहा कि मार्कोनी के पोते :फ्रांसेस्को: ने लिखा है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि Þ Þवायरलेस का आविष्कार मेरे दादा :मार्कोनी: से पहले बोस ने किया था। Þ Þ हर्षवर्धन ने कहा कि वैज्ञानिक देश को नित नई बुलंदियों पर ले जाने में लगे हैं और वे दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन परियोजना Þथर्टी मीटर टेलिस्कोप Þ :टीएमटी: पर काम कर रहे हैं। 1.47 अरब डॉलर की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना में भारत लेंस सहित हार्डवेयर के रूप में करीब 1,300 करोड़ रपये की मदद कर रहा है।
अगली पीढ़ी की इस परियोजना में भारत के साथ ही अमेरिका, कनाडा, जापान और चीन भी शामिल हैं। मंत्री ने कहा, Þ Þयह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि इस परियोजना में हमारी चीजें इस्तेमाल होंगी। Þ Þ इस दूरबीन के साल 2020 तक तैयार हो जाने की संभावना है।
( Source – PTI )