इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण होने से खीरपान उचित नहीं

इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण होने से खीरपान उचित नहीं नीमच 5 अक्टूबर 2023। कर्मकाण्डीय विप्र परिषद नीमच की एक महत्वपूर्ण बैठक 4 अक्टूबर को श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर स्थित मां अन्नपूर्णा के दरबार में सम्पन्न हुई जिसमें विप्र परिषद के सदस्यों के अलावा नीमच के विद्वानजन भी उपस्थित हुए। बैठक में शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण क्षीरपान के विषय में चर्चा की गई। जैसा कि विदित है कि इस विषय में शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को है और शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि चंद्रमा की अमृतवर्षिणी उपरांत खीर का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जाता है, किन्तु इस विषय में शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण होने से खीरपान किया जाना उचित नहीं है। इस चंद्रग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर को दोपहर 4 बजे पश्चात् लग जाएगा। चंद्रग्रहण अर्धरात्रि उपरांत 1.05 बजे से प्रारंभ होगा और मोक्ष 2.23 बजे होगा। सूतक काल एवं ग्रहण काल में खानपान, प्रत्यक्ष पूजा निषिद्ध रहती है, किन्तु एकांत में भजन, जप व मानसिक पूजा आदि का विधान शास्त्रों में बताया गया है। सूतक काल एवं ग्रहण काल में पूजा का निषिद्ध होने से सभी मंदिरों के पट भी बंद रहते हैं। शरद पूर्णिमा को मध्यरात्रि में जो अमृतवर्षिणी होती है, वह भी इस विषय में चंद्रमा के स्वयं दृश्य और असुखद होने से संभव नहीं है जबकि अमृतवर्षिणी ही शरद पूर्णिमा का मुख्य तत्व है। पूर्णिमा तिथि भी 28 अक्टूबर की रात्रि 1.54 तक ही है और ग्रहण की शुद्धि पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के बाद रात्रि 2.23 बजे होगी। चंद्रग्रहण के मोक्ष के उपरांत स्नान, अभिषेक, श्रृंगार के बाद सूतक के पहले बनी हुई खीर का लगभग 12 घंटे बाद भोग लगाना उचित नहीं है। क्योंकि भोजन तैयार होने के बाद केवल 3 घंटे तक ही भोग लगाने लायक रहता है और वैसे भी निर्णय सिंधु के अनुसार ग्रहण के बाद सभी पका हुआ अन्न अशुद्ध और त्याग्य बन जाता है। जहां तक खाद्य पदार्थों में कुशा रखकर उसका उपयोग करने की बात है, वह केवल अत्यावश्यकता में मात्र बालक, वृद्ध, रोगी, गर्भवती एवं प्रसूता के लिए ही मान्य है, सभी के लिए नहीं। इस विषय में महंत श्री अयोध्यादासजी (श्री सत्यनारायण मंदिर) एवं महंत श्री जानकीदासजी (श्री बड़े बालाजी मंदिर) सहित शहर के प्रमुख मंदिरों के पुजारियों की भी सहमति है। अतः विप्र परिषद का सर्व सम्मति से निर्णय है कि इस बार शरद पूर्णिमा पर केवल व्रत, जप, मानसिक पूजा करना शुभ है, लेकिन खीर-पान उचित नहीं माना जा सकता। इस महत्वपूर्ण बैठक में संरक्षक पं. मालचंद शर्मा, अध्यक्ष पं. राधेश्याम उपाध्याय, पं. चतुर्भुज शास्त्री, पं. दशरथ शास्त्री, पं. प्रेमप्रकाश गौड, पं. जगदीशप्रसाद शर्मा, पं. रामेश्वर शर्मा, पं. लक्ष्मण शास्त्री, पं. मनोज शर्मा, पं. जयप्रकाश शर्मा एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here