प्रो नामदेव के संपादन में  ‘उपन्यास मूल्यांकन माला’ का लोकार्पण 

आलोचना लोकतंत्र के लिए प्राणवायु है – डॉ पल्लव 

  दिल्ली,

  भारत मंडपम्,

  प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में ‘उपन्यास मूल्यांकन माला’ का लोकार्पण किया गया। सुपरिचित आलोचक और साहित्यकार प्रो.नामदेव के प्रधान सम्पादन में इस शृंखला में हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों का पुनर्मूल्यांकन प्रस्तावित है। शृंखला की पहली तीन पुस्तकों क्रमशः  ‘गोदान : स्वरूप और सरोकार’ संपादक धनंजय सिंह ,’मैला आंचल : स्वरूप और सरोकार’, संपादक ललित कुमार श्रीमाली और ‘शेखर एक जीवनी : स्वरूप और सरोकार’ संपादक ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता हैं। 

विश्व पुस्तक मेले में नयी किताब समूह के स्टाल पर आयोजित लोकार्पण समारोह में बनास जन के संपादक व विख्यात आलोचक डॉ.पल्लव ने बधाई देते हुए कहा कि आलोचना केवल साहित्य के लिए ही नहीं लोकतंत्र के लिए भी प्राणवायु है।  उन्होंने  कहा कि अकादमिक जगत की जरूरतों  को पूरा करने वाली इन पुस्तकों की विद्यार्थियों, शोधार्थियों व पाठकों में उपयोगिता होगी। साथ ही हमारे महान उपन्यासों को नए परिप्रेक्ष्य में इस शृंखला के माध्यम से देखा-समझा जा सकेगा डॉ पल्लव ने कहा कि प्रो नामदेव ने नयी पीढ़ी के आलोचकों को इस शृंखला से जोड़ा है जो अधिक महत्त्वपूर्ण है और आलोचना विधा के लिए भी आश्वस्तिप्रद है। 

राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की प्रो रेणु व्यास ने समारोह में कहा कि गोदान, मैला आँचल और शेखर एक जीवनी हिंदी उपन्यासों की तीन धाराओं का प्रतिनिधित्व एवं सूत्रपात करने वाली कृतियां हैं जिनसे इस शृंखला का शुभारम्भ होना निश्चय ही महत्त्वपूर्ण घटना है। व्यास ने तीनों कृतियों में शामिल लेखकों की विविधता को भी रेखांकित किया। 

राजधानी कालेज के प्रोफ़ेसर डॉ. महेंद्र सिंह बेनीवाल ने इन पुस्तकों के विषय में कहा कि ये  पुस्तकें प्रतियोगी परीक्षाओं व अध्ययन-अध्यापन में विशेष रुचि रखने वाले शिक्षार्थियों के मध्य अपना स्थान बनाने में सफल होंगी। इस माला में शामिल हिंदी के वे उपन्यास हैं जिन्होंने अपने में समय को बांधा हुआ है, जिससे हिंदी की पहचान है। नयी किताब प्रकाशक समूह ने इस परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। 

कथा साहित्य की विशेषज्ञ आलोचक डॉ. विद्या सिन्हा ने सम्पादकों के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई दी और कहा कि इन पुस्तकों की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी क्योंकि जिन उपन्यासों पर यह शृंखला आधारित है वे कालजयी हैं। समारोह में शृंखला सम्पादक प्रो नामदेव ने बताया कि हिंदी के श्रेष्ठ एक दर्जन उपन्यासों पर केंद्रित इस शृंखला में पिछली शताब्दी के साथ नयी शताब्दी के उपन्यासों को भी शामिल किया जाएगा। 

आयोजन में डॉ ऋतू वार्ष्णेय गुप्ता, डॉ मंजू रानी,  शिक्षक अरविन्द कुमार शर्मा, शोधार्थी रक्षिता पारीक सहित अन्य पुस्तक प्रेमी, विद्यार्थी और लेखक उपस्थित थे। अंत में नयी किताब प्रकाशन समूह के निदेशक अतुल माहेश्वरी ने आभार प्रदर्शित किया। 

आदित्य माहेश्वरी 

नयी किताब प्रकाशन समूह 

शाहदरा

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