
उच्चतम न्यायालय ने दो व्यावसायिक घरानों पर 2012 में मारे गये आयकर के छापों में कथित रूप से बरामद दस्तावेजों की विशेष जांच दल से जांच हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई से न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहड को अलग करने के वकील प्रशांत भूषण के आग्रह को ‘बहुत ही अनुचित’ करार दिया।
गैर सरकारी संगठन कामन काज की जनहित याचिका में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, सहित नेताओं के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाये गये हैं। न्यायालय ने बुधवार को प्रशांत भूषण से सवाल किया था कि क्या पर्याप्त साक्ष्य के बगैर ही प्रधान मंत्री के खिलाफ आक्षेप लगाये जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहड़ और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘आप देश की सबसे बड़ी अदालत के बारे में बात कर रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि हम किसी दबाव में झुक सकते हैं?’’ न्यायालय जनहित याचिका दायर करने वाले गैर सरकारी संगठन के वकील प्रशांत भूषण के इस कथन से नाराज था कि न्यायमूर्ति खेहड़ को इससे अलग हो जाना चाहिए जिन्हें देश का नया प्रधान न्यायाधीश बनाने की सिफारिश सेवानिवृत्त हो रहे प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने की है।
भूषण ने कहा, ‘‘हालांकि मुझे निष्ठा के बारे में कोई संदेह नहीं है। न्यायालय के अधिकारी के रूप में :यह कहना: मेरा कर्तव्य है, अप्रसन्नता वाला कर्तव्य है, शीतकालीन अवकाश के बाद न्यायालय के पुन: खुलने पर इस मामले की सुनवाई कोई अन्य पीठ करे।’’ निश्चित ही भूषण का इशारा नये प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खेहड़ को मनोनीत करने संबंधी कार्यपालिका की मंजूरी लंबित होने की ओर था।
( Source – PTI )