
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर आज रोक लगा दी। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद अब मुंबई में गणपति विसर्जन के दौरान कल लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की पीठ ने इसके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किये जिनकी याचिका पर उच्च न्यायालय ने एक सितंबर को लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने इन सभी से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
उच्च न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण (नियमन एवं नियंत्रण) नियमों में हाल ही में किये गये संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस संशोधन के जरिये त्यौहार का सत्र शुरू होने से पहले ही मुंबई के 1573 अधिसूचित ‘शांत क्षेत्रों’ को खत्म कर दिया गया था।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इन नियमों पर रोक लगाकर गलती की है जो नहीं की जानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि इन अखिल भारतीय स्तर के नियमों पर इसके भाव के अनुरूप अमल किया गया तो आप एक छोटे क्लीनिक, स्कूल या अदालत परिसार के आसपास भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं जो पूरे देश को ही शांत क्षेत्र बना देगा।’’ इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि इन नियमों पर रोक लगाना न्यायोचित था। उनका तर्क था कि यहां तक कि शीर्ष अदालत भी पहले ऐसी रोक लगा चुका है।
पीठ ने सिंह से जानना चाहा कि यदि इस प्रतिबंध को हटा लिया जाये तो राज्य पर इसका क्या प्रभाव पडेगा, इस पर सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार जुलूस के साथ लाउडस्पीकर बजाकर गणेश विसर्जन की अनुमति देगी।
मेहता ने कहा कि यदि इन नियमों पर सख्ती से अमल किया गया तो उच्चतम न्यायालय के लॉन में भी कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर गौर करेगी।
( Source – PTI )