केरल मुल्लापेरियार बांध की देखरेख नहीं करने दे रहा : तमिलनाडु ने उच्चतम न्यायालय में कहा

केरल मुल्लापेरियार बांध की देखरेख नहीं करने दे रहा : तमिलनाडु ने उच्चतम न्यायालय में कहा
केरल मुल्लापेरियार बांध की देखरेख नहीं करने दे रहा : तमिलनाडु ने उच्चतम न्यायालय में कहा

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की उस याचिका पर केरल से आज जवाब मांगा जिसमें आरोप लगाया गया है कि पड़ोसी राज्य उसे ऐतिहासिक मुल्लापेरियार बांध की देखरेख करने की अनुमति नहीं दे रहा है।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने केरल को नोटिस जारी किया और तमिलनाडु की याचिका पर सुनवाई के लिए जुलाई का दूसरा सप्ताह तय किया।

तमिलनाडु ने अपनी याचिका में इस मामले में शीर्ष न्यायालय के आदेश को क्रियान्वयन किए जाने की मांग की है। तमिलनाडु का कहना है कि इस आदेश में कहा गया था कि बांध की देखरेख करने का अधिकार उसके पास होगा जबकि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केरल की होगी।

तमिलनाडु ने आरोप लगाया कि उसके अधिकारियों को बांध की देखरेख का काम करने नहीं दिया जा रहा है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मुल्लापेरियार बांध की रक्षा करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआईएसएफ तैनात करने की तमिलनाडु सरकार की मांग पर उसे फटकार लगाते हुए कहा था कि ‘‘बारहमासी अमृत धारा की तरह मुकदमेबाजी’’ नहीं हो सकती।

न्यायालय ने सात मई 2014 के अपने आदेश में कहा था कि 120 वर्ष पुराना मुल्लापेरियार बांध सुरक्षित है। उसने तमिलनाडु सरकार को 142 फीट तक जलस्तर बढ़ाने की अनुमति दी थी तथा बांध को मजबूत करने का काम पूरा करने के बाद 152 फीट तक जलस्तर बढ़ाने की मंजूरी दी थी।

बाद में केरल ने इस आदेश पर स्पष्टीकरण के लिए उच्चतम न्यायालय का रख किया था और दलील दी थी कि बांध के सभी 13 स्पिलओवर द्वारों के परिचालन शुरू होने तक जल भंडारण का स्तर 142 फीट तक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने 2014 के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिये केरल की याचिका भी खारिज कर दी थी और कहा था कि संविधान पीठ के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।

( Source – PTI )

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