राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने वाले अपने आदेश में बदलाव करने के केन्द्र के आवेदन को खारिज कर दिया है।
अधिकरण ने कहा कि डीजल वाहनों से होने वाला उत्सर्जन कैंसरकारक प्रकृति का होता है और एक डीजल वाहन, 20 पेट्रोल वाहनों और 40 सीएनजी वाहनों के बराबर प्रदूषण फैलाते हैं।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहते हुए सरकार का आवेदन खारिज कर दिया कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसी ही एक याचिका खारिज कर दी थी।
अधिकरण ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कोई समीक्षा याचिका दायर नहीं की और सिर्फ बदलाव चाहते हुए अधिकरण पहुंच गये हैं। मंत्रालय ने ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सात अप्रैल, 2015 के आदेश में बदलाव का अनुरोध किया था।
याचिका पर फैसला सुनाने वाली पीठ में न्यायमूर्ति जव्वाद रहीम, न्यायमूर्ति आर. एस. राठौड़ और एक विशेषज्ञ सदस्य बी. एस. साजवान भी शामिल थे।
केन्द्र ने पहले प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा था कि यह ‘‘भ्रम’’ है कि सिर्फ डीजल वाहनों से पर्यावरण प्रदूषित होता है।
( Source – PTI )