
कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिकाओं के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि जनता का धन कैसे खर्च किया जाए, इसकी मंजूरी देने का अधिकार केवल संसद को है और वही यह कानून बना सकती है कि सांसदों को कितनी पेंशन दी जा सकती है।
राज्यसभा में आज जेटली ने कहा ‘‘यह एक निर्विवाद संवैधानिक रूख है कि जनता का धन संसद की मंजूरी के बाद ही खर्च किया जा सकता है। इसलिए, केवल संसद ही यह तय कर सकती है कि जनता का धन कैसे खर्च किया जा सकता है। कोई अन्य संस्थान इस अधिकार का उपयोग नहीं कर सकता। ’’ यह बात जेटली ने तब कही जब सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय की इस कथित टिप्पणी का मुद्दा उठाया कि 80 फीसदी पूर्व सांसद ‘‘करोड़पति’’ हैं। वित्त मंत्री ने कहा ‘‘यह तय करने का विशेष अधिकार संसद को है कि सरकारी पेंशन लेने का हकदार कौन है और कितनी पेंशन लेने का हकदार है। यह संवैधानिक रूख है जिसे प्रत्येक संस्थान को स्वीकार करना होगा।’’ इससे पहले सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न के माध्यम से यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सांसदों की छवि इस तरह की बन रही है मानों उनको काम किए बिना ही, वेतन और पेंशन के तौर पर भारी भरकम धन राशि मिल रही है।
( Source – PTI )