
सांसदों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य भत्तों आदि को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारत निर्वाचन आयोग से प्रतिक्रिया मांगी है।
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकसभा और राज्य सभा के महासचिव को भी इस याचिका पर नोटिस जारी किए। यह याचिका लोकप्रहरी नामक एनजीओ ने दायर की थी।
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पद छोड़ देने के बाद भी सांसदांे को पेंशन और अन्य भत्ते आदि दिया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 :समानता का अधिकार: का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी कहा गया कि संसद के पास बिना कोई कानून बनाए सांसदों को पेंशन संबंधी लाभ देने का कोई अधिकार नहीं है।
( Source – PTI )