उच्चतम न्यायालय ने कोयला खदान आबंटन प्रकरण में सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच के लिये गठित विशेष जांच दल को चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आज निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने जांच दल से कहा कि इस मामले में अब तक की जांच के बारे में यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाये।
न्यायालय के इस निर्देश से पहले, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि विशेष जांच दल के गठन के बाद से कई महीने बीत चुके हैं और अब उसे अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को सीबीआई के निदेशक की अध्यक्षता में विशेष जांच दल गठित किया था जिसे कोयला खदान आबंटन घोटाले की जांच को प्रभावित करने के अपने पूर्व मुखिया पर लगे आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया गया था।
कोयला खदान आबंटन प्रकरण में नियुक्त विशेष लोक अभियोजक और वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने कहा कि इस काण्ड से संबंधित आठ मामले अभी जांच एजेन्सी के पास लंबित हैं।
इस पर, पीठ ने जांच ब्यूरो के निदेशक को इन मामलों की जांच 15 जनवरी, 2018 तक पूरी करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत को इससे पहले सूचित किया गया था कि जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एम एल शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी जांच में इस प्रकरण से संबंधित आठ पहुंच वाले आरोपियों की सिन्हा से कथित मुलाकात पहली नजर में यह संकेत देती है कि यह जांच को प्रभावित करने का प्रयास था।
इस मामले में शीर्ष अदालत ने सात दिसंबर, 2015 को निर्देश दिया था कि सीबीआई के पूर्व निदेशक के सरकारी निवास पर रखा मूल आगंतुक रजिस्टर एम एल शर्मा समिति को सौंप दिया जाये।
( Source – PTI )