अयोध्या स्थल : उच्चतम न्यायालय ने पर्यवेक्षकों के रूप में दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के नाम उच्च न्यायालय से मांगे

अयोध्या स्थल : उच्चतम न्यायालय ने पर्यवेक्षकों के रूप में दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के नाम उच्च न्यायालय से मांगे
अयोध्या स्थल : उच्चतम न्यायालय ने पर्यवेक्षकों के रूप में दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के नाम उच्च न्यायालय से मांगे

उच्चतम न्यायालय ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि अयोध्या में विवादित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के रखरखाव और देखरेख से संबंधित मामलों के लिये दस दिन के भीतर दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के नाम बतायें।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने सूचित किया कि एक पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि दूसरे पर्यवेक्षक की पदोन्नति उच्च न्यायालय में हो गयी है।

द्विवेदी ने पीठ को अतिरक्त जिला न्यायाधीशों और विशेष न्यायाधीशों की एक सूची भी सौंपी जिनमें से पर्यवेक्षक के लिये नामों पर विचार किया जा सकता है।

इसके बाद, पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चूंकि यह सूची लंबी है, हम उचित समझते हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस मामले में पहले दिये गये आदेशों के भाव और स्वरूप के मद्देनजर अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों या विशेष न्यायाधीशों के काडर से दो व्यक्तियों को नामित करेंगे। ’’ शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री से कहा कि यह आदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को संप्रेषित कर दिया जाये और कहा, ‘‘मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह दस दिन के भीतर दो नाम बताएं।’’ संक्षिप्त सुनवाई के दौरान इस मामले में एक पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि टी एम खान और एस के सिंह को 2003 में पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था और वे तभी से इस मामले को देख रहे थे।

उन्होंने पीठ के समक्ष सवाल किया, ‘‘न्यायलय को अब उन्हें क्यों बदलना चाहिए जबकि वे 14 साल से हैं? यह बहुत ही संवेदनशील मामला है।’’ उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि उनसे पूछा जाये कि क्या वे यह काम जारी रखेंगे।

इस पर पीठ ने कहा कि इनमें से एक पद पर नहीं है और वह अब यह काम जारी नहीं रख सकते। पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इस पर निर्णय के लिये कहेंगे।’’ पीठने कहा, ‘‘इनमें से एक की उच्च न्यायालय में पदोन्नति हो चुकी है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से वहां जाकर सारी चीजों को देखने के लिये कहना उचित नहीं होगा। हम उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ऐसा करने के लिये नहीं कह सकते हैं।’’ शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को कहा था कि वह लंबे समय से लंबित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद में पांच दिसंबर से सुनवाई करेगी। न्यायालय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ कुल 13 अपीलों पर सुनवाई होनी हैं।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और भगवान राम लला के बीच बराबर बांटने का निर्देश दिया था।

( Source – PTI )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!