फौरी तीन तलाक की पीड़ितों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को सराहा
फौरी तीन तलाक की पीड़ितों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को सराहा

दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक गांव में रहने वाली 26 साल की रजिया के लिए फौरी तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय का फैसला उस इंसाफ की तरफ एक अहम कदम है, जिसके लिए वह सालों से लड़ाई लड़ रही है ।

शाहजहांपुर के एक स्थानीय रिपोर्टर ने आज रजिया को उच्चतम न्यायालय के फैसले की जानकारी दी और तब से वह इन्हीं से जुड़ी बातों और सवालों से जूझ रही हैं ।

उच्चतम न्यायालय ने आज अपने फैसले में फौरी तीन तलाक पर पाबंदी का फरमान सुनाया ।

रजिया ने पूछा, ‘‘तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि अब आखिकार मेरे मामले पर सुनवाई होगी ? क्या इसका मतलब यह है कि जिन पुलिसकर्मियों ने मुझे थाने से भगाया था, उन पर कार्रवाई होगी ? क्या मुझे अब न्याय मिलेगा ?’’ करीब दो साल पहले रजिया की जिंदगी में उस वक्त भूचाल आ गया था, जब शादी के आठ साल बाद उसका पति उसे फौरी तलाक देकर कथित तौर पर सऊदी अरब चला गया । दो बेटियों, जिसमें एक दिव्यांग थी, के जन्म के मुद्दे पर रजिया के पति ने उसे तलाक दिया था ।

रजिया ने कहा, ‘‘जब मैं स्थानीय पुलिस थाने गई थी तो मुझे भगा दिया गया । पुलिस ने कहा कि मेरा मामला मुस्लिम पर्सनल लॉ से जुड़ा है । मुझे अदालत जाने को कहा गया ।’’ सलाह के मुताबिक रजिया अदालत गई, लेकिन यह धीमी प्रक्रिया थी । रजिया ने शाहजहांपुर से फोन पर बातचीत में पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘स्थानीय अदालत में कोई प्रगति नहीं हुई है ।’’ उच्चतम न्यायालय में तीन तलाक के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में शामिल ‘बेबाक कलेक्टिव’ की हसीना खान ने कहा कि अब चुनौती यह है कि इस बड़े फैसले पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि रजिया जैसी हजारों महिलाओं के मामलों को कैसे मजबूत किया जा सके ।

खान ने कहा, ‘‘पहली बार संविधान के चश्मे से इस मुद्दे को देखा गया है । इसे जमीनी स्तर पर उतारने में वक्त लगेगा । लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के अलावा, समाज में गहरे पैठे पूर्वाग्रहों पर इसका गहरा असर पड़ेगा ।’’ लखनऊ की रहने वाली 24 साल की रुबीना भी तीन तलाक की पीड़ित रही हैं । उनका कहना है कि यह फैसला उनके लिए राहत लेकर आया है जिन्हें फौरी तलाक की धमकी दी जाती है और परेशान किया जाता है ।

तीन तलाक का मुद्दा पिछले साल फरवरी में उस वक्त सामने आया था जब फौरी तीन तलाक का शिकार हुई शायरा बानो ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर कर फौरी तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला पर पाबंदी की गुहार लगाई । निकाह हलाला वह प्रथा है जिसके तहत यदि कोई तलाकशुदा महिला अपने पूर्व पति से फिर शादी करना चाहती है तो उसे पहले किसी अन्य पुरूष से शादी करनी होगी ।

शायरा की अर्जी के बाद देश की हजारों मुस्लिम महिलाओं ने दबाव समूहों का गठन किया और हस्ताक्षर अभियान चलाकर तीन तलाक खत्म करने की मांग की ।

इस बीच, ओड़िशा में रहने वाली तीन तलाक की पीड़िताओं ने भी न्यायालय के फैसले की जमकर तारीफ की है ।

21 साल की नजमा बेगम ने कहा, ‘‘इस फैसले ने मुझे लड़ने की हिम्मत दी है । आठ महीने पहले जब मेरे पति ने सऊदी अरब से फोन पर मुझे तीन बार तलाक कहा तो मेरी जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई । चार साल के वैवाहिक जीवन के बाद एक झटके में मैं उनसे अलग हो गई । मेरे माता-पिता ने मौलानाओं के पास इस मामले को उठाया, लेकिन मुझे बताया गया कि मेरी शादी खत्म हो चुकी है ।’’ लाली बीवी और रिजवाना बेगम ने भी न्यायालय के फैसले की तारीफ की ।

( Source – PTI )

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