जन-जागरण गॉड पार्टिकल, मिशन मंगल, शौचालय और बिकती हुयी लड़कियाँ November 9, 2014 / November 15, 2014 | Leave a Comment प्रिय आत्मन ! विविधताओं, आश्चर्यों और विद्रूपों से भरी पूरी ये दुनिया अब मुझे हंसाती कम, रुलाती अधिक है । हम दीवाने हुये जा रहे हैं, ब्रह्माण्ड की संरचना के रहस्य को अनावृत्त करने के लिये ही नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के अन्य खगोलीय पिण्डों तक अपनी पहुँच बनाने के लिये भी । जिस ग्रह […] Read more » being sold girls god particle mission mars शौचालय और बिकती हुयी लड़कियाँ
धर्म-अध्यात्म धार्मिक इण्डस्ट्री के बीज November 3, 2014 / November 3, 2014 | Leave a Comment कौशलेन्द्रम आबाबाबाबाबाबाबाबा ….शीबाबाबाबाबाबाबा ….हालू लुइया ….हालू लुइया …हालू लुइया …हालू लुइया ……धन्यवाद …धन्यवाद ….धन्यवाद ….धन्यवाद …………..! जगदलपुर के लगभग हर मोहल्ले में स्थापित चर्चों में, अक्टूबर माह में आयोजित होने वाला, ईसाइयों का यह एक चंगाई और धन्यवादी समारोह है जिसमें चिल्ला-चिल्ला कर दोहराये जाने वाले हिब्र्यू भाषा के ये शब्द एक धार्मिक आवेश सा […] Read more »
स्वास्थ्य-योग रोगोत्पादक सूक्ष्म जीवाणु और हमारा सुरक्षा तंत्र September 1, 2014 / September 1, 2014 | Leave a Comment आज पूरा विश्व स्वास्थ्य समस्यायों से जूझ रहा है, यह उसी तरह है जैसे भारत में उग्रवाद । हम उग्रवाद के लिये पड़ोसियों को दोष दे सकते हैं किंतु वास्तविकता यह है कि विदेशी उग्रवाद को भारत में पनपने के लिए जिस उर्वरता की आवश्यकता है वह भारत की अपनी आंतरिक अव्यवस्था से उत्पन्न होती […] Read more » रोगोत्पादक सूक्ष्म जीवाणु और हमारा सुरक्षा तंत्र
विविधा कविता : सबकी एक ही पहचान होती September 2, 2012 / September 2, 2012 | 1 Comment on कविता : सबकी एक ही पहचान होती कौशलेन्द्र काश! मैं भारत का सम्राट होता तो भारत का नाम इण्डिया नहीं भारत ही होता। जो हठ से इसे इण्डिया कहता उसे मैं भारत से बाहर करता। भेज देता वापस चार देशों के आयातित संविधान उनके अपने-अपने देशों में लिखकर यह टीप कि अशोक नहीं लाये थे बाहर से कोई संविधान अब और […] Read more »