विविधा

आर. सिंह को डॉ. मीणा का जवाब : मनुवादी व्यवस्था के कट्टर समर्थक हैं अन्‍ना हजारे

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ के लेख पर आर. सिंह की कड़ी टिप्‍पणी आयी। लेखक ने इस टिप्‍पणी पर प्रति-टिप्‍पणी की, जो यहां प्रस्‍तुत है- सं.

आदरणीय श्री आर सिंह जी,

सादर प्रणाम|

आपने इस आलेख पर टिप्पणी की है| इसके लिये आपका आभार|

जहॉं तक आपकी ओर से उठाये गये सवालों के बारे में मेरे मत का सवाल है| तो सबसे पहले तो मैं आपके विचारों का सम्मान करता हूँ और साथ ही इस बात का कतई भी दावा नहीं करता कि जो कुछ मैंने लिखा है, केवल वहीं सच है| सच दूसरों के नजरिये से देखने पर ही सामाने आता है| इसलिये आपके नजरिये पर भी विचार करना चाहिये| फिर भी मैं विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूँ कि-

१. कोई बात किसी व्यक्ति विशेष के मत में सही हो और वह दूसरों के खिलाफ जाती है, तो क्या इस प्रकार से विचार प्रकट करना पूर्वाग्रह का द्योतक है? यदि हॉं तो फिर सभी लोगों को इस बात पर विचार करना होगा कि आज के दौर में पूर्वाग्रह की परिभाषाएँ बदल रही हैं| श्री सिंह जी अब तो सारा संसार जान चुका है कि भारत की कथित हिन्दुत्ववादी ताकतें ही हिन्दुओं की सबसे बड़ी दुश्मन हैं| जो हिन्दुत्व को मजबूत करने और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का नाटक करके इस देश के लोगों में वैमनस्यता फैलाने का बखूबी नाटक करती रहती हैं| यही नहीं ये लोग कमजोर तथा विपन्न वर्गों की खिलाफत करते समय अपने मुखौटों का छुपा नहीं पाती हैं और हर हाल में इस देश के कमजोर तबकों को कुचलने पर आमादा रहती हैं| यदि इस बात को मैंने लिख दिया तो यह आपकी दृष्टि में यह पूर्वाग्रह हो गया| यदि आपकी दृष्टि में अब पूर्वाग्रही होने की यही परिभाषा है तो मैं कुछ भी कहने या लिखने की स्थिति में नहीं हूँ| क्योंकि अनुभव और सम्भवत: ज्ञान में भी मैं आपसे बहुत कनिष्ठ हूँ| यदि मेरे विचार से मेरे सच्चे किन्तु थोड़े से कुट विचारों से आपको तकलीफ हुई है तो मुझे दुख है| हालांकि मैं अभी भी अपने विचारों को सही और समाज, राष्ट्र तथा हिन्दुत्व के हित में मानता हूँ|

२. दूसरी बात आपने कही है कि भ्रष्टाचार मिटने से गरीबतम लोगों को लाभ होगा| कागजों पर तो गरीब को लाभ आज भी हो रहा है! कॉंग्रेस का हाथ गरीब के साथ कब से है, परिणाम क्या हुआ? सब बकवास है! जब तक मनुवादी व्यवस्था को समूल नष्ट नहीं किया जाता भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता, जिसके अन्ना कट्टर समर्थक है| यही कारण है कि अन्ना का संघ समर्थन कर रहा है|

३. आपने बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर को हिन्दू धर्म के उत्थान तथा आध्यात्म के साथ जुड़े होने की बात कही है जो आपकी दृष्टि में ठीक हो सकती है, लेकिन इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू इस बात को जानते हैं कि ये दोनों मनुवादी व्यवस्था की पुनर्स्थापना के लिये कार्य कर रहे हैं| जिसमें इन दोनों ने बड़ी चालाकी से भ्रष्टाचार और कालेधन को जोड़कर आम व्यक्ति को गुमराह करने का नया और भ्रामक तरीका निकाला है| इनका और इन जैसे ही अनेकों कथित संतों का पहला मकसद मनुवाद की फिर से स्थापना करना है! जिससे इनकी और इन जैसे अनेकों का ठगी का धन्धा चलता है|

मैं समझता हूँ कि आपको यह बतलाने की जरूरत नहीं होनी चाहिये कि मनुवाद की स्थापना का अर्थ है इस देश के ८५ फीसदी लोगों का सफाया| यदि ये लोग सच में ही दमित और साधनविहीन लोगों के सच्चे समर्थक हैं तो ये लोग यह घोषणा क्यों नहीं करते कि इस देश में जब तक स्त्रियों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के हाथ में सारे संसाधन और सत्ता नहीं आयेगी तब तक सच में लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना नहीं हो सकती, जो संविधान का लक्ष्य है| इसके विपरीत मुनवादी सभी ताकतें एक स्वर में महिला आरक्षण और अजा/अजजा/अपिव के आरक्षण का तथा अल्पसंख्यकों के संरक्षण का खुलकर विरोध करती रहती हैं| जो लोग देश की ८५ फीसदी आबादी के विकास को राष्ट्र के उत्थान के खिलाफ मानते हैं, वे स्वयं किसके लिये कार्य कर रहे हैं, यह बात सहज समझी जा सकती है! इन लोगों की विचारधारा का विरोध नहीं करने वाला और, या इनका सहयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही बड़ा संत या साधु या अन्ना जैसा कथित गॉंधीवादी कोई भी हो ये सब इस देश के सच्चे और असली मालिकों के समर्थक नहीं, विरोधी और दुश्मन हैं| जिनका विरोध नहीं करने का अर्थ है, चुपचाप अन्याय को सहते जाना! जो अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार को बढावा देने के समान ही है| जिसे मिटाने का ये नाटक करते रहते हैं|

४. जहॉं तक लोकपाल बनने की बात है, जब तक इस देश में मनुवादी व्यवस्था लागू रहेगी लोकपाल कुछ नहीं कर सकता| सबसे पहले मनुवादी व्यवस्था को मरना होगा, तब ही इस देश का उद्धार होगा| काला धन लाना तो बीमारी का फौरी उपचार करना है| मनुवाद ही तो कालाधन पैदा करता है| मनुवाद ही तो भ्रष्टाचार को पनपाता रहा है| बीमारी के कारण को समाप्त किये बिना, किसी भी बीमारी को कभी भी समाप्त नहीं किया जा सकता|

शभाकांक्षी

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’