कविता एक हफ्ते की मोहब्बत November 17, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment एक हफ्ते की मोहब्बत का ये असर था जमाने से क्या मैं खुद से बेखबर था। शुरू हो गया था फिर से इशारों का काम महफिल में गूंजता था उनका ही नाम। तमन्ना थी बस उनसे बात करने की, आग शायद थोड़ी सी उधर भी लगी थी। वो उनका रह रहकर बालकनी में आना, नजरे […] Read more » एक हफ्ते की मोहब्बत